जन्म देने के लिए अस्पताल नहीं जा रही हैं महिलाएं | DW | 26.02.2021

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दिल्ली की तीनों नगरपालिकाओं के आंकड़े बता रहे हैं कि बीते कई सालों से महिलाओं के स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव कराने के मामलों में आई बढ़ोतरी को कोविड-19 ने उलट दिया है. COVID19

भारतीय मातृत्व लाभ एक्ट 1961 के अनुसार पहले महिला को 12 हफ्तों का अवकाश मिलता था और इसका आधा यानी 6 हफ्ते वह बच्चे के जन्म से पहले ले सकती थी. अब नये संशोधित कानून के मुताबिक किसी महिला को कुल 26 हफ्ते का अवकाश मिल सकेगा, जिसमें से 8 हफ्ते वह पहले ले सकेगी.इस लाभ के दायरे में तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली महिलाओं या सेरोगेट मांओं को भी शामिल किया गया है. नये कानून के अनुसार इन्हें 12 हफ्ते की छुट्टी मिल सकती है.

इंटरनेट कंपनी याहू की सीईओ मारिसा मायर ने पहली बार खुद मां बनने पर तो केवल दो हफ्ते की छुट्टी ली लेकिन अपनी कंपनी में 16 हफ्तों के मातृत्व अवकाश की नीति को मंजूरी दी.1 जनवरी 2016 से अमेरिकी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट कंपनी पेपाल ने अपनी सवैतनिक मातृत्व अवकाश नीति में बदलाव लाते हुए मांओं को पहले 8 हफ्तों के लिए पूरे वेतन पर छुट्टी देने का नियम बनाया है. उसके बाद माता, पिता या समलैंगिक पार्टनर भी 8 से लेकर 16 हफ्तों तक का अवकाश लेकर बच्चे के साथ घुलने मिलने में समय बिता सकते हैं.

 

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