इसके कुछ ही दिनों बाद चेतन सकारिया जब आईपीएल में खेल रहे थे तो कोविड-19 संक्रमण के चलते उनके पिता की मौत हो गई थी.इंटरव्यू में चेतन सकारिया ने कहा है, "मैंने पहले छोटे भाई को खोया और एक महीने बाद मुझे आईपीएल का बड़ा अनुबंध मिला. पिछले महीने मेरे पिता की मौत हुई और अब टीम इंडिया में मेरा चयन हो गया है. काश मेरे पिता जीवित होते. वे मुझे भारत की ओर से खेलते हुए देखना चाहते थे. मुझे उनकी कमी महसूस हो रही है.
2012 से 2015 के बीच गेंदबाज़ी और बल्लेबाज़ी से चेतन अपने स्कूल को कई टूर्नामेंट के फाइनल तक ले गए. यह वक्त था जब उनका परिवार आर्थिक तंगियों का सामना कर रहा था. चेतन के मामा मनसुख भाई जांबूचा ने बताया, "चेतन क्रिकेट खेलना चाहता था. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लिहाजा मैं चाहता था कि वह किसी तरह से सरकारी नौकरी में चला जाए. एक दिन चेतन के स्कूल टीचर ने मुझे फ़ोन करके बताया कि वह एक अच्छा क्रिकेटर है, उसे खेलने दीजिए. तब हमने उसे खेलते रहने दिया."हालांकि चेतन का परिवार चाहता था कि वे जल्दी से पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी में चले जाएं. तब परिवार वालों का मनाना था क्रिकेट के लिए उन्हें अपने करियर को दांव पर नहीं लगाना चाहिए था.
मनसुख भाई जाम्बूचा बताते हैं, "क्रिकेट में इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है कि आपका चयन होगा या नहीं. अगर आप अच्छी नौकरी चाहते हैं तो आपको पढ़ाई में बेहतर होना होता है. हालांकि चेतन नहीं चाहता था लेकिन हमने उसे विज्ञान पढ़ने को कहा. उसने खेलना भी जारी रखा. उसे 55 प्रतिशत अंक आए. इसके बाद उसने कॉमर्स की पढ़ाई शुरू की थी."चेतन ने साथ में भावनगर में क्रिकेट के एडवांस कोचिंग शुरू की. उन्होंने भावनगर के भरूचा क्लब से खेलना शुरू किया.
कूच बेहार ट्रॉफ़ी में सौराष्ट्र की अंडर-19 टीम की ओर से छह मैचों में चेतन ने 18 विकेट चटकाए. कर्नाटक के ख़िलाफ़ जब उन्होंने पांच विकेट लिए तो लोगों का ध्यान उन पर गया.सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन ने चेतन को तेज़ गेंदबाज़ी के गुर सीखने के लिए एमआरएफ़ पेस फाउंडेशन अकादमी भेजा. अकादमी में तेज़ गेंदबाज़ ग्लेन मैक्ग्रा से मिली ट्रेनिंगके बाद चेतन सहजता से 130 किलोमीटर प्रति घंटे से भी तेज़ रफ़्तार में गेंद फेंकने लगे.
बधाई हो इनको , उन्होंने ईमानदारी से मेहनत किया जिसका प्रतिफल इनको प्राप्त हुआ
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