चीन और आसियान देशों के बीच संबंधों की स्थापना को तीस साल हो चुके हैं लेकिन मलेशिया समेत दक्षिणपूर्व एशिया के तमाम आसियान देशों के लिए यह उतना खुशनुमा मौका नहीं था. हाल ही में सदस्य देशों मलेशिया और फिलीपींस के साथ जो घटनाएं हुई हैं, उनका साया इस सम्मेलन पर भी था. मलेशिया और फिलीपींस ने हाल ही में चीनी सेना और मछुआरे नौकाओं के व्यवहार पर विरोध जताया था. आसियान देशों और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक में दक्षिण चीन सागर में संयम बरतने की बात तय हुई.
मलेशिया के साथ चीन के संबंध काफी अच्छे रहे हैं. बरसों की तल्खी के बाद 1974 में जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों की स्थापना हुई, तब से इनमें व्यापक बदलाव आया है. खास तौर पर पिछले दो दशकों में इन रिश्तों में ज्यादा नजदीकियां आयी हैं. लेकिन जिस चीन के लिए मलेशिया पालक पांवड़े बिछा कर बैठा रहता है जब उसी चीन ने मलेशिया की सीमा में एक के बाद एक अतिक्रमण करना शुरू किया तो मलेशिया की हैरानी और परेशानी का ठिकाना नहीं रहा.
विदेश मंत्री हिशमुद्दीन हुसैन ने आधिकारिक वक्तव्य जारी करने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी चीनी सेना की हरकत की आलोचना की. उसी दिन मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने चीनी राजदूत ओयांग यूजिंग को तलब किया और अपनी सरकार का विरोध जताया. हालंकि चीनी लड़ाकू विमान मलेशिया की सीमा में सरावाक प्रांत के हवाई जोन के अंदर 110 किलोमीटर तक आ गए थे, लेकिन चीन इस बात से ही साफ मुकर गया कि उसके जहाज मलेशिया की सीमा में गलती से भी घुसे थे.
गौर से देखा जाय तो मलेशिया की सिर्फ यही गलती है कि दक्षिण चीन सागर के कुछ विवादित क्षेत्रों में उसकी भी दावेदारी है और दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य दावेदारों, ब्रूनेई, फिलीपींस और वियतनाम की तरह वह भी इस क्षेत्र को विवादित मानता है. स्प्रैटली द्वीपसमूहों के अलावा सरावाक प्रांत के नजदीक लूकोनिया शोएल पर मलेशिया की दावेदारी है. यह इलाका मलेशिया के लिए खासी अहमियत रखता है क्योंकि हाइड्रोकार्बन संसाधनों के अलावा जैविक समुद्री संसाधन और मछलियां भी यहां प्रचुर मात्रा में पायी जाती हैं.
दक्षिण चीन सागर में विवादों के बीच, चीन ने नाइन-डैश लाइन के जरिये अपने रवैए को और आक्रामक बनाया है. इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, जापान, और ताइवान जैसे देशों की सीमाओं में लगातार अतिक्रमण किया है जिससे इन देशों ने भी अपने तेवर तीखे करने शुरू कर दिए हैं. मलेशिया सैन्य तौर पर तो चीन को नुकसान नहीं पहुंचा सकता लेकिन कूटनीतिक तौर पर मलेशिया की नाराजगी लंबे दौर में चीन को महंगी पड़ सकती है. मलेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में उसके गिने चुने दोस्तों की फेरहिस्त में है.
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