पहली मून लैंडिंग की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने कहा है कि वह अपने उस प्रोग्राम को सफल करने को लेकर पूरी तरह जुट गया है जो चंद्रमा की सतह पर पहली महिला को ले जाएगा। इस कार्यक्रम का नाम आर्टेमिस नाम दिया गया है, जो चंद्रमा की देवी का नाम भी है। एजेंसी की मानें तो उसका स्पेस कार्यक्रम आर्टेमिस, उसके मंगल मिशन में बेहद अहम भूमिका निभाएगा।
नासा ने कहा कि उसके चंद्र मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा के उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे जहां पहले कभी इंसान नहीं गया है। इस दौरान ब्रह्मांड के रहस्यों का पता लगाया जाएगा। यह मिशन इंसान के दायरे को सौर मंडल में विस्तार देगी। इस मिशन के द्वारा एजेंसी चंद्रमा की सतह पर पानी, बर्फ और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की खोजबीन करेगी। चंद्रमा आने वाले दिनों की अंतरिक्ष यात्राओं को आसान बनाएगा। भविष्य में इंसान चंद्रमा से छलांग लगाकर मंगल तक की यात्रा करेगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, साल 2024...
करीब 50 साल पहले अपोलो मिशन के तहत दो अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर उतरे थे। उस समय उस यात्रा पर छह अरब डॉलर की लागत आई थी जो मौजूदा वक्त में 30 अरब डॉलर के बराबर है। बता दें कि 20 जुलाई 1969 का दिन पूरी दुनिया में खासा अहमियत रखता है। इसी दिन अमेरिका के एयरोनॉटिकल इंजीनियर और सेना के पायलट नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखा था। उनके साथ चांद की धरती पर उतरने वालों में बज एल्ड्रिन भी थे।
इस दौरान अपोलो-11 की चांद पर लैंडिंग की 50वीं सालगिरह पर अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने कहा है कि नासा का पहला मानवरहित ओरियन क्रू कैप्सूल चंद्रमा पर जाने के लिए तैयार है। उन्होंने फ्लोरिडा स्थित नासा के कनैडी स्पेस सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि नासा की मेहनत रंग लाई है। आर्टिमिस-1 मिशन के लिए ओरियन क्रू यान पूरी तरह तैयार है। इसकी पहली ऐतिहासिक उड़ान की तैयारियां शुरू हो चुकी...
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