गोवा में एक समुद्र तट पर दो नाबालिग लड़कियों के साथ कथित सामूहिक बलात्कार के मामले पर विपक्ष के दबाव के बीच मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत राज्य विधानसभा में की गई उस टिप्पणी के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि माता-पिता को यह आत्ममंथन करने की जरूरत है कि उनके बच्चे रात में इतनी देर तक समुद्र तट पर क्यों थे.
गृह विभाग की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सावंत ने कहा था कि अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना माता-पिता की जिम्मेदारी है और उन्हें अपने बच्चों खासतौर से नाबालिगों को रात-रात भर बाहर नहीं रहने देना चाहिए. गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विधायक विजय सरदेसाई ने कहा कि यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री इस तरह के बयान दे रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘नागरिकों की सुरक्षा पुलिस तथा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. अगर वह हमें सुरक्षा नहीं दे सकते तो मुख्यमंत्री को पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है.’
सावंत ने सदन में कहा था, ‘हम सीधे तौर पर पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि एक पार्टी के लिए समुद्र तट पर गए 10 युवाओं में से चार पूरी रात वहां रुकते हैं और बाकी के छह घर चले जाते हैं. दो लड़के तथा दो लड़कियां पूरी रात वहां रहे.’
😡😡😡
वारदात के बाद गोबर लीपा जा रहा है
सही तो कहा सीएम साहेब ने आजकल पुलिस ओर न्यायलय ओर खुद केंद्र सरकार भी बेटियों की सुरक्षा करने में पूरी तरह असफल है,माता पिता अपनी बेटियो को तिजोरी में बंद करके रखे,वो बाहर की हवा में सुरक्षित नहीं है। PramodSawant Goa BJPSeBetiBachao
तेरी दिल्ली वाली उची जाती की निर्भया रात मे बाहार क्यु थी संघी सोच के किडेलोग
कैसा CM है और जनता इसे बर्दास्त क्यूँ कर रही है।
बिल्कुल सही सवाल। सीएम साहब को पूछना चाहिए था कि वो लड़कियां ही क्यों थी? डूब मर ऐसी सोच वाले।
भारत में पुरूष को सजा देना कितना सरल है? पुरूष की सुरक्षा हेतु न पुरूष आयोग बना और न ही कानून क्यों कि हम पुरूष/पति/बेटा देश के नागरिक ही नहीं है? समानता की बात करने वाला संविधान रो रहा पुरूष के लिए देश में तानाशाही है? आज कोई भी स्त्री किसी भी पुरूष को कभी भी झुठा फंसा सकती?
अगर UP बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा होता तो समझ भी आता गोआ में जहां हमेशा से नाईट कल्चर रहा है वहां का cm कह रहा है ये थोड़ा हास्यास्पद लगता है ।
भारत में दहेज,घरेलूहिंसा रेप व छेड़छाड़ जैसे एकपक्षीय स्त्री प्रधान कानून जो समानता_का_अधिकार कानून की धज्जियां उड़ा रहे,आज धन्धा बन गये? रेप और छेड़छाड़ के लिए केवल पुरूष को दोषी बना देना 100% असंवैधानिक है। लेकिन हिटलर शाही व्यवस्था व बेटी को बोझ मानने वाला समाज पुरूष विरोधी?
सही पूछा निर्भया का मामला भी कुछ ऐसा ही था 12-01 बजे रात में अपने बॉय फ्रेंड के साथ सिनेमा देख कर आ रही थी मगर अगर कोई ऐसा कह दे तो वो कट्टरपंथी कहलाता है इस बिगड़े मानसिकता को बदलने की बात कोई नहीं करता
sahi sawal hai der rat tk bahar rhne ka haq sirf ladko ko hi h....firls jo v rat me bahr rhegi unsafe h yhi kehna chah rhe h ye cm.....apki soch ko mera pranam
Inke pass milne gai thi
अच्छा तो अब लड़कियों को घर से बाहर निकलने से पहले सीएम साहब की इजाज़त लेनी होगी
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