गोरखालैंड मुद्दा नहीं

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पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र की तीनों सीटों- दार्जिलिंग, कर्सियांग और कलिंपोंग में बीते करीब तीन दशक से हर चुनाव में गोरखालैंड अलग राज्य का मुद्दा अहम रहा है।

यह मुद्दा इस बार कमजोर दिख रहा है। विकास, बेरोजगारी ‘बाहरी’ या ‘बंगाली अस्मिता’ का मुद्दा जोरशोर से उभरा है। इस बार यहां गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के दो नेताओं- बिमल गुरुंग और विनय तमांग के बीच गुटबाजी सतह पर है। गुरुंग ने अपने आधिकारिक उम्मीदवार उतारे हैं। जबकि, तमांग गुट ने अपने अलग उम्मीदवार खड़े किए हैं। इन दो पूर्व दोस्तों की दुश्मनी का फायदा उठाने की कोशिश में भाजपा है। इस बार के चुनाव में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी गुरुंग गुट के साथ है। तृणमूल ने दार्जिलिंग इलाके की तीन विधानसभा सीटें...

साल के आखिर में गुरुंग अचानक सामने आए और तृणमूल कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर दिया। 2016 के विधानसभा चुनाव में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने पहाड़ की तीनों सीटों पर कब्जा जमाया था। दार्जिलिंग सीट पर मोर्चा के अमर सिंह राई ने तृणमूल के एस राई सुब्बा को हराया था। दूसरी ओर, कर्सियांग सीट पर मोर्चा के रोहित शर्मा ने तृणमूल की शांता छेत्री को मात दी थी। इसके अलावा कलिंपोंग सीट पर मोर्चा की सरिता राय ने निर्दलीय हरका बहादुर छेत्री पर जीत हासिल की थी। मई 2019 में दार्जिलिंग सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव...

 

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