कविताओं और गीतों की गिरिजाकुमार माथुर की दुनिया एक विरल भाषायी सुगंध की दुनिया है, जो उन्हें उनके समकालीनों से अलग करती है. एक वक्त 'छाया मत छूना मन होगा दुख दूना मन' तथा 'मेरे युवा आम में नया बौर आया है/ खुशबू बहुत है क्योंकि तुमने लगाया है'...जैसे गीत काव्य रसिकों के बीच बहुत लोकप्रिय रहे. उन्हें साहित्य अकादमी, व्यास सम्मान व शलाका आदि कई सम्मानों से नवाजा गया.
गिरिजाकुमार माथुर के पिता देवीचरण माथुर सुशिक्षित तथा वैदिक वांड्.मय के ज्ञाता थे. विवेकानंद के चिंतन से प्रभावित पिता खुद काव्यसंस्कारों के व्यक्ति थे. उनका कवित्त, सवैयों एवं दोहों आदि का एक कविता संग्रह तत्व ज्ञान नाम से प्रकाशित भी हुआ. इससे सहज ही उस वातावरण एवं परिवेश का अंदाजा लगाया जा सकता है, जिसमें गिरिजाकुमार माथुर जनमे, पले-बढे और साहित्यिक संस्कारों के बीच होने का सौभाग्य हासिल किया.
माथुर ने इंटरमीडिएट की शिक्षा झांसी से हासिल की तो बीए ग्वालियर से किया. इस उम्र तक वे कवित्त, सवैये और छंद में प्रवीण हो चुके थे, मैथिलीशरण गुप्त तब उनकी कविता के रोल मॉडल थे. माखनलाल चतुर्वेदी, निराला, महादेवी का सम्मिलित प्रभाव उन पर पड़ा. पहली कविता माखन लाल चतुर्वेदी संपादित कर्मवीर में छपी. स्वाधीनता संघर्ष के दौर की पत्रिकाओं में कर्मवीर की अपनी प्रतिष्ठा थी. 1936 साहित्य की दृष्टि से ऐतिहासिक समय है. गोदान इसी वर्ष प्रकाशित हुआ तो प्रगतिशील लेखक संघ का पहला अधिवेशन लखनऊ में आयोजित हुआ.
प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, अकविता, नवगीत तथा किसिम-किसिम की कविता के आंदोलन, जिसकी एक लंबी सूची जगदीश गुप्ता ने अपने अध्यायन में गिनाई है, पर गिरिजाकुमार माथुर अकविता के भुलावे में नहीं आए, न मोहभंग में उनकी कविता नैराश्य का बानक बनी. वे मस्ती और रोमानी गीत लिखते और गाते रहे, तो जीवन और विचारधारा का आंदोलित करने वाली समस्याओं से भी जूझते रहे. उनकी कविता में प्रयोगवादी आधुनिकता भी है तो प्रगतिकामी चेतना भी.
उनका पहला संग्रह मंजीर सरस रचनाओं का संग्रह है, इसलिए पहली ही निगाह में निराला को भा गया. कहना न होगा की मंजीर के प्रकाशन के साथ ही कवियों में गिरिजाकुमार माथुर की अपनी पहचान बनने लगी थी. बोलचाल की लय के गीत इसमें अधिकतर हैं. थोड़ी दूर और चलना है, तुम इन गीतों में बस जाना, रुठ गए वरदान सभी, मैं जीवन से हार गया, तुमने प्यार नहीं पहचाना, विदा समय क्यों भरे नयन हैं, प्यार बड़ा निष्ठुर था मेरा ऐसे गीत इसमें शामिल हैं. माथुर में महादेवी की-सी वेदना भी है.
शत शत नमन
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