समग्र के नकार और केवल टुकड़ों को वास्तविक बताने की राजनीति आज़ादी के पहले भी थी और आज भी है। अन्याय के अनवरत शिकार इन छोटे-छोटे समूहों को नेता पहले उकसाते हैं, फिर कोरे आश्वासनों की अफ़ीम खिलाते हैं और अंतत: इन्हें अतिवाद की हद तक जाने देते हैं। चूंकि उनकी मांगें मानी नहीं जातीं, इसलिए वे राज-काज के पूरे तंत्र और आख़िरकार पूरे देश को ही अन्यायपूर्ण बताने लगते हैं। सही है, किसी सरकार को निकम्मी कहना, शब्दों को जाया करने जैसा है, क्योंकि सरकार शब्द में ही ये सारे विशेषण निहित...
सच है समय आ गया है जब आप छाह में बैठे - बैठे भी जल सकते हैं। खैर मिट्टी डालिए इन दिल्ली की अफ़वाहों पर। जो दिल्ली हत्यारों को सजा देने की बजाय ख़ुद निर्भया की आत्मा को ही बार-बार फांसी पर लटका रही हो, उसकी क्या बात करें? और क्यों करें? अब आते हैं कोरोना वायरस पर। दिल्ली में एक-दो केस मिल गए हैं। लगता है अब विदेश यात्राओं पर बंदिश लगने वाली है। कोई बात नहीं। हम भारतीय कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं। सरकार ने कई महीनों तक पेट्रोल के दाम बढ़ाने के बाद हाल ही में कम कर दिए हैं। क्या ज़रूरत है विदेश यात्रा की। अपनी गाड़ी उठाइए और घूमिए देशभर में। पेट्रोल सस्ता है ही। दरअसल, सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि आजकल मीडिया में भी पेट्रोल के दाम बढ़ने की ख़बर कम ही आती है। घटने की ज़रूर आती...
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मीडिया बोल: दिल्ली की हिंसा, गोली मारो के नारे और मीडियावीडियो: 23 फरवरी से दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग में अब तक 48 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हैं. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस बारे में द वायर के डिप्टी एडिटर अजय आशीर्वाद, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी और जनचौक वेबसाइट के संवाददाता सुशील मानव से चर्चा कर रहे हैं. UrmileshJ गोली से क्या परेशानी भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने भी गोली मारी थी आतताइयों को। UrmileshJ Video not available. UrmileshJ सारा आरोप नारों पर मढनेवाले पत्तलचाट पत्थरों, तेजाब की स्टोरेज कितने दिनों से हो रही थी ProfKapilKumar
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