ये कुदरत की कैसी मार है। जिस हाथ में पेंसिल होनी चाहिए। उस नन्ही सी जान को अपने पेट की भूख मिटाने के लिए घोड़े की लगाम थामनी पड़ रही है। यह कहानी कश्मीर के पहलगाम की रहने वाली 8 साल की रूही की है, जिसकी मां की दो साल पहले मौत हो चुकी है। पिता बीमार रहते हैं। पिता के अलावा 4 साल के भाई को भी पालने की जिम्मेदारी रूही पर ही आ पड़ी है। घर में बर्तन, कपड़े धोने से लेकर पूरे परिवार का पेट भरने का जिम्मा यही बच्ची उठा रही है। इसलिए रूही की जिंदगी खुद्दार कहानी है।रूही के पिता की दोनों किडनी खराब हो चुकी...
जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 80 किमी दूर अनंतनाग जिले में मशहूर टूरिस्ट डेस्टिनेशन पहलगाम है। रूही अपने भाई और पिता के साथ पहलगाम से 8 किमी दूर फ्रिसलाना में रहती है। रूही ने सरकारी स्कूल में चौथी क्लास में दाखिला तो लिया है, लेकिन वो कभी-कभार ही स्कूल जा पाती है। सुबह उठने के साथ ही रूही की जिंदगी से जद्दोजहद शुरू हो जाती है। कपड़े-बर्तन धोने से लेकर अपने बीमार पिता की देखभाल और छोटे भाई का लालन-पालन सब कुछ रूही के ही जिम्मे है।2 साल पहले ही चल बसी...
रूही जब 6 साल की थी तब उसकी मां मुबीना बानो की तबीयत बिगड़ी। बीमारी के कुछ दिन बाद 21 जून 2020 को मां का निधन हो गया। एक तरफ रूही की गोद में 4 साल का नन्हा अयान था और दूसरी तरफ 41 साल के पिता मोहम्मद यूसुफ कई सालों से किडनी और गॉलब्लेडर में बीमारी से जूझ रहे थे। मोहम्मद की सेहत और भी ज्यादा खराब होती जा रही है। अयान अब फ्रिसलाना के सरकारी स्कूल में पहली क्लास में पढ़ता है। वो भी कभी-कभार ही स्कूल जाता है। दोनों बच्चे सुबह से शाम तक अपने पिता के साथ ही घोड़ा लेकर पहलगाम जाते हैं। पिता मोहम्मद जब...
रूही बताती है- ‘मुझे अपने बीमार पिता की मदद तो करनी ही है, साथ में पढ़ाई भी करनी है।’ हम जब रूही के घर पहुंचे तो उत्साह से उसने अपनी किताबें, नोटबुक निकाली और लिख-पढ़कर दिखाने लगीं, लेकिन थोड़ी ही देर में उसे ख्याल आया कि पहनने वाले कपड़े गंदे हो चुके हैं, तो वो झट से कपड़े धोने लगी। रूही बताती है कि उसका दिन पहलगाम की बेताब घाटी में घोड़ा घुमाते हुए बीत जाता है और शाम को आस-पड़ोस के लोग खाने की मदद भी कर देते हैं। बस ऐसे ही जिंदगी का गुजर-बसर हो रहा है।पिता मोहम्मद यूसुफ शेख मायूसी के साथ कहते...
रूही के पड़ोसी बिलाल अहमद शेख बताते हैं कि- ‘मैं रोज देखता हूं कि रूही सी नन्ही जान अपने पिता और भाई के साथ रोजाना रोजी-रोटी कमाने जाती है। पिता की तबीयत खराब है वो सिर्फ एक वक्त का खाना ही पका पाता है। इसलिए बच्चे सुबह भूखे पेट ही पहलगाम कमाई करने पिता के साथ चल देते हैं। दिनभर थका देने वाली मेहनत के बाद ये लौटते हैं।’
कश्मीर भी भारत का हिस्सा है कश्मीर के लोगों की मदद करनी चाहिए
Center government ko help krni hi hogi
Yah bharat hai india wallai yahh hee chyatai hai
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