NRI Couple Came To The Country Leaving The Life Of Luxury Of London, Adopting The Village And Living The Lives Of Many Peopleलंदन की लग्जरी लाइफ छोड़ भारत लौटे NRI कपल, अब गांव को गोद लेकर सैकड़ों लोगों की जिंदगी संवार रहे हैंकहते हैं किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक खूबसूरत मकसद से होती है। एक ऐसे ही बेहतर मकसद के लिए पुणे के आशीष कलावार लंदन की लाखों की नौकरी छोड़ अपनी पत्नी रुता के साथ देश वापस आ गए। उन्होंने महाराष्ट्र के एक गांव को गोद लिया जो बुनियादी सुविधाओं से दूर...
उसकी बात सुनकर मैंने उससे जूते पॉलिश करवाए और उसको डबल पैसे दिए। ज्यादा पैसों की वजह से वो बच्चा बहुत खुश हो गया। उसकी खुशी मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉइंट थी। मुझे तब लगा दूसरों के लिए कुछ करने से ज्यादा खुशी मिलती है। ” आशीष कहते हैं, “लंदन में मैं और रुता लगातार तरक्की कर रहे थे, हमारे पास सब कुछ था, लेकिन हम खुश नहीं थे। इसी बीच 2012 में हमें कुछ समय के लिए हमारा भारत आना हुआ। तब हमने कई NGO का दौरा किया। मैं कई सोशल वर्कर्स से मिला। इन लोगों के काम से मुझे प्रेरणा मिली कि मैं भी दूसरों के लिए कुछ कर सकूं। तभी मैं अमोल सैनवार से मिला जो ‘शिवप्रभा चैरिटेबल ट्रस्ट’ नाम से NGO चला रहे थे। वो गांव के लोगों की मदद करने के लिए काम कर रहे थे। अमोल जी से मिलने के बाद मुझे गांव वालों के साथ जुड़ कर काम करने की प्रेरणा...
इसके लिए मैंने अपनी सेविंग्स लगाई और लंदन में बसे दोस्तों से मदद भी ली। सोलर पैनल वाटर पंप की मदद से गांव में ही पानी आने लगा और इस तरह गांव वाले भी हमसे जुड़ कर काम करने लगे। फिर हमें वापस लंदन आना पड़ा। वापस जाने के बाद भी मेरा और रुता का मन लोनवड़ी में ही लगा रहता था। तो हमने परमानेंट यहां आकर बसने का मन बना लिया।”
आशीष बताते हैं, “2012 में जब मैं यहां आया था तब न ही बच्चे स्कूल जाते थे न हीं पढ़ाई होती थी। हमने धीरे - धीरे काम शुरू किया। बच्चों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और आज यहां के स्कूल को हमने डिजिटल स्कूल में बदल दिया है। सभी बच्चों के पास स्मार्ट फोन या लैपटॉप की सुविधा है। मेरे कुछ दोस्त जो विदेशों में हैं वो भी इन बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाते हैं।”
आशीष बताते हैं इन 9 सालों में गांव में बहुत कुछ बदल गया है। यहां सुविधाओं के अलावा लोगों का नजरिया जिंदगी के प्रति बहुत बदला है। यहां के लोग एक पॉजिटिव लाइफ जीते हैं और यहां के बच्चे कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं।
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