यह सर्वविदित है कि विश्व में जो तमाम आतंकी संगठन हैं, वे अपने वित्त पोषण के लिए कई तरह की गैर कानूनी गतिविधियों का सहारा लेते हैं। इनमें प्रमुख है नशीले पदार्थो की तस्करी। नशीले पदार्थो और खासकर अफीम की तस्करी में तालिबान भी माहिर है, जो हाल में अफगानिस्तान की सत्ता पर बंदूक के बल पर काबिज हुआ है। तालिबान दशकों से अफगानिस्तान में अफीम की खेती करता आ रहा है। वह अफीम की तस्करी दुनिया भर में करता है। इसमें उसका साथ देती है पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ। अफगानिस्तान में दुनिया की करीब 85 फीसदी...
अफीम और खासकर हेरोइन की लत बहुत जल्दी लगती है। एक बार जिसे यह लत लग जाती है, उसके लिए उससे पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। ज्यादातर मामलों में हेरोइन के लती हमेशा के लिए बर्बाद हो जाते हैं। इसी कारण इसे युवा पीढ़ी को तबाह करने वाले नशे के तौर पर जाना जाता है। मुश्किल यह है कि नशीले पदार्थो का काला कारोबार बढ़ता चला जा रहा है। गरीब देश हों या फिर विकासशील अथवा विकसित देश, कोई भी नशीले पदार्थो की तस्करी से अछूता नहीं है। भारत किस तरह नशीले पदार्थो के तस्करों के निशाने पर है, इसका उदाहरण है पिछले...
मुंद्रा बंदरगाह पर हेरोइन की बड़ी खेप पकड़े जाने से यह भी स्पष्ट होता है कि तालिबान अपने वित्तीय स्रोतों के लिए एक बार फिर अफीम की तस्करी का सहारा ले रहा है और इसमें पाकिस्तान उसकी मदद कर रहा है। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि जहां अफगानिस्तान में अफीम की बड़े पैमाने पर खेती होती है, वहीं उससे हेरोइन बनाने का काम पाकिस्तान में आइएसआइ के संरक्षण में होता है। वहीं से उसे दुनिया के दूसरे देशों में भेजा जाता है। जाहिर है कि तालिबान और आइएसआइ की मिलीभगत से ही नशीले पदार्थो का काला कारोबार दुनिया भर में...
यह ठीक है कि मुंद्रा बंदरगाह पर हेरोइन की बड़ी खेप पकड़े जाने के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां चेत गई हैं, लेकिन यह मानना सही नहीं होगा कि इससे नशीले पदार्थो की तस्करी थम जाएगी। हो सकता है कि हेरोइन की तीन हजार किलोग्राम खेप भारत भेजने वाला गिरोह सावधान हो गया हो, लेकिन ऐसे कई गिरोह और होंगे। यह भी तय है कि उन्हें तालिबान नेताओं के साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों का भी समर्थन हासिल होगा। वैसे तो पूरे विश्व में नशे के कारोबार को तोड़ने के लिए नारकोटिक्स एजेंसियां हैं, लेकिन उनके तमाम प्रयासों के...
इन दिनों न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक हो रही है। इसमें शामिल होने के अलावा भारतीय प्रधानमंत्री ने दुनिया के कई देशों के शासनाध्यक्षों से मुलाकात की। इन मुलाकात में तालिबान के कट्टरपंथ पर भी चर्चा हुई, लेकिन बेहतर होगा कि अफगानिस्तान में आतंक के उभार के साथ वहां से होने वाले नशे के कारोबार पर भी बात हो और इस दौरान इस पर ध्यान दिया जाए कि तालिबान अपने वित्त पोषण के लिए अफीम की खेती को बढ़ावा न देने पाए। ऐसे किसी उपाय से ही तालिबान विश्व समुदाय की बात सुनेगा। यदि विश्व समुदाय को...
HMOIndia Sanjaygupta0702 फिर भी संयुक्त राष्ट्र संघ समेत किसी भी देश द्वारा, अभी तक तालिबानीयों के मुख्य आर्थिक स्रोत व मानव-मात्र के लिए सर्वाधिक विनाशकारी ड्रग्स के काले-धंधे का खात्मा करने की कोई बात तक नहीं उठाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण हीं नहीं अपितु सम्पूर्ण मानवता के लिए कलंक की बात है ।
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