सातवां महिला ट्वेंटी-20 क्रिकेट विश्वकप शुक्रवार 21 फरवरी से ऑस्ट्रेलिया में शुरू हो चुका है. पहले मैच में भारत और ऑस्ट्रेलिया आमने-सामने हैं. इसके पिछले छह संस्करणों में से चार ऑस्ट्रेलिया ने जीते हैं और एक-एक बार इंग्लैंड और वेस्टइंडीज को सफलता हाथ लगी है.
21 फरवरी को ही भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैच खेल रही है. हर ओर बस उसी मैच की चर्चा रही है कि टीम की अंतिम एकादश क्या होगी! मयंक अग्रवाल के साथ ओपनिंग पृथ्वी शॉ करेंगे या शुभमान गिल, क्या आउट ऑफ फॉर्म चल रहे जसप्रीत बुमराह को टीम में जगह मिलेगी? वगैरह-वगैरह. 2017 के महिला एकदिवसीय विश्वकप में भी यही हुआ था. विश्वकप के लीग मैचों तक किसी ने टीम की सुध नहीं ली. जब भारतीय महिलाएं लगातार जीत दर्ज करते हुए पहले सेमीफाइनल और फिर फाइनल तक पहुंची तो महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने, उन पर गर्व करने, पुरुषों के मुकाबले उनके साथ पक्षपात किए जाने की बातें होने लगीं.कप्तान मिताली राज की तुलना धोनी और कोहली से की जाने लगी. स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर को उनकी बल्लेबाजी के चलते वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह बताया जाने लगा.
जहां तक रेवेन्यू का मसला है तो खेल की लोकप्रियता ही रेवेन्यू बढ़ाती है और लोकप्रियता फैंस व मीडिया से आती है. लेकिन सवाल उठता है कि जब मैदान और टीवी पर दर्शक नहीं जुटेंगे, महिला क्रिकेट से जुड़े मसले खबरों में नहीं होंगे, तो खेल को निवेशक कैसे मिलेंगे? व्यक्तिगत प्रदर्शन की बात करें तो आईसीसी महिला एकदिवसीय क्रिकेट रैंकिंग के टॉप 10 बल्लेबाजों में एक भारतीय , टॉप 10 गेंदबाजों में तीन भारतीय , टॉप 10 ऑलराउंडर में दो भारतीय हैं.
कुल मिलाकर देखें तो एकदिवसीय क्रिकेट के विभिन्न श्रेणियों के टॉप 10 किक्रेटरों में कुल छह भारतीय महिला क्रिकेटर हैं जबकि पुरुष क्रिकेटरों की संख्या चार है. वहीं ट्वेंटी-20 क्रिकेट में टॉप 10 रैंकिंग की महिला क्रिकेटरों की संख्या पांच हैं, जबकि पुरुष क्रिकेटरों की संख्या महज दो है. विश्व में एकदिवसीय क्रिकेट में 4000 से अधिक रन बनाने वाली महिला क्रिकेटरों में मिताली एकमात्र ऐसी क्रिकेटर हैं जिनका औसत 50 से अधिक है, लेकिन शायद ही किसी को यह पता हो.
समाज हमेशा से पुरूष प्रधान ही रहा है, यही कारण है।
जनता का काम जब टीवी चैनल कर रहा होता है तो फिर मीडिया जो दिखाएगी वह तो जनता देख ही लेगी आप दिखाओ ना जनता उनसे बड़े बड़े मुद्दों में अभी उलझी हुई है उसे कुछ समझ में नहीं आरहा हम क्या देखें और क्या ना देखें मीडिया जो दिखाती है बेचारी जनता देख ही लेती है ना मुद्दा ही क्या है देश---
अभी तुम्हारे लावारिस भाई जान से फुर्सत मिले तभी ना।
क्यों की स्वामी जी ने कहा था की..... परिओड्स के दौरान अगर अगर महिला वर्ल्डकप खेलेगी तो.... अगले जन्म ने वो महिला बिल्ली पैदा होगी.... और वर्ल्डकप देखने वाला गदहा... 😂😂😂😂
क्योंकि गोदी मीडिया अपनो भक्ति में लीन है
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