क्रिमिनल कानूनों की व्यापक समीक्षा और पुनर्गठन के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से सुझाव आमंत्रित किया है. केंद्र सरकार ने कानूनों को नागरिक केंद्रित बनाने के लिए आपराधिक कानूनों की समीक्षा करते हुए उनमें बदलाव की योजना तैयार की है.गृह मंत्रालय के सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि इसके तहत न्यायिक प्रक्रिया को तेज किया जाएगा ताकि लोगों, खासकर कमजोर वर्ग को त्वरित न्याय मिल सके.
इस समीक्षा कार्य का मकसद कानूनों को आधुनिक लोकतंत्र के अनुकूल बनाना है ताकि कमजोर वर्ग, महिलाओं, बच्चों आदि को त्वरित न्याय मिल सके. इसके अलावा सूत्रों का कहना है कि कानूनी प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर भी ध्यान देना जरूरी है ताकि आम आदमी के लिए जीवनयापन में आसानी हो.
महोदय, कानून कितना भी कड़ा बन जाय परन्तु उसे पालन कराने वाली सरकार और पालन करने वाले छोटे, बड़े नौकरशाहों की नियति ठीक नहीं रहेगा और छोटे बड़े राजनेताओं का दखल, दबाव रहे गा तथा चापलूस, चम्मचे नौकरशाह रहे गेंतब तक न्यायोचित कार्य नहीं होगा और न हीं क्राइम्स कम होगा ।जे.राम
It will be basically aimed at revenue collection only
न्याय तुला के धारक की आँखों में पट्टी नही बंधी होती क्योंकि अगर ऐसा होता तो तराज़ू के एक पलड़े में जीवन और दूसरे में धन तौला जा सकता है जो न्याय की दिव्य और सत्य दृष्टि से सम्भव नही है। ध्यान रहे क़ानून ना अंधा है ना बहरा ना गूँगा,ये तस्वीर ग़ुलामी के दिनों की हो सकती है।
Yes that's absolutely necessary 👌👌👌 . Jai Hind 🇮🇳🇮🇳
हाय रे अम्बेडकर प्रेमियों। तुम्हारे बाबा साहब के कानून में बदलाव हो रहा है। छाती फाड़ के नहीं तो बुक्का फाड़ के रोना तो बनता ही है। 😂😂😂
बलात्कार को कैसे रोका जाए... गांधी के चरखे से या फिर गोडसे की गोली से
बदलाव और विनेवेश ही करेंगे निवेश और निवारण मोदीजी के हक में ही नही
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