हम जब कौशिकी भवन पहुंचे तो सच में हमें वहां कोई अधिकारी नहीं मिला. इक्के-दुक्के कर्मचारी थे जो इधर-उधर घूम रहे थे. पूछने पर पता चला कि साहेब लोग साइट पर गए हैं.
इसका मुख्य उद्देश्य बाढ़ के संभावित ख़तरे से निपटना है तथा जल का वितरण कर कोसी क्षेत्र के किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करानी है. अररिया ज़िले के डीएम वैजनाथ प्रसाद कहते हैं,"कोई मतलब नहीं है. अब तो पानी आ गया है. तटबंधों की मरम्मती तो तब की जानी थी जब पानी प्रवेश नहीं कर पाया था. हमारे यहां तटबंधों पर काम नहीं चल रहा है. हम राहत और पुनर्वास के काम पर फोकस किए हैं."
इसके लिए दो कैनालों से वितरणी नहरें निकालनी थी. फिलहाल तो सब जगह पानी ही पानी है क्योंकि बाढ़ आई है. लेकिन स्थानीय निवासी कहते हैं कि वितरणी में अब पानी नहीं आता. कैनाल में तो पानी रहता है लेकिन उन कैनालों से जो छोटी नहरें निकाली गईं थीं, उनपर कभी ध्यान ही नहीं दिया गया. स्थानीय इंजीनियर कहते हैं कि कुछ सालों पहले इसे दोबारा चालू किया गया था. 12 मेगावॉट बिजली का उत्पादन भी होने लगा, लेकिन फिर रख रखाव और मेंटेनेंस नहीं हो पाया.
कोसी परियोजना पर सवालों का जवाब देने से प्रत्यय अमृत बचते नज़र आए. साफ़ कहा कि परियोजना के अंतर्गत काम जल संसाधन विभाग के तहत होता है, हिसाब उनसे लिया जाए."
Isme new kya bola BBC wale ne....ye to har dfa hota he hai.
Ask nitish. Why asking countryman. What a nonsenses talk by a reputed bbc.
जी
yes Nitish is totally failed opportunistic politician ,also cutting same branch on which sitting
घोटाले से भी बड़ा घोटाला है
जी हाँ बाढ़ सिर्फ एक बहुत बड़ा घोटाला है गरीबों की जान जाती है कभी किसी मंत्री विधायक सांसद को इस बाढ़ से नुकसान हुआ है क्या? बाढ़ आएगी नहीं तो बाढ़ से बचाव के नाम पर इतनी इतनी राशि कैसे निकासी होगी अगर बाढ़ सच मे एक समस्या है तो आज तक समाधान क्यों नहीं निकाला गया ?
Shaayad kah sakte hai
Haa bas pesa Lene ka ik tarika isliye ye iss ka koi rasta nhi nikaalte taaki pesa milta rahe
हाँ
आम लोगों के लिये तो दुख तकलीफ का पैगाम है बाढ़ तो अफसर नेताओं के लिये खुशहाली का संदेश है बिहार में बाढ़। हर साल तटबंध मरम्मती और बाढ़ पुनर्वास के नाम पर लाखों करोड़ों खर्च किये जाते हैं लेकिन लोग इतने खर्चे के बाबजुद आजादी के सत्तर साल बाद भी आजादी से पहले की तरह ही परेशान हैं।
बिलकुल वर्ना 14 साल सूशासन की ढोल पीटने के अलवा क्या हुआ है ?हर साल बाढ के नाम पर राहत बचाव कार्य के नाम पर लुट रहे सब मिलके ।
हाँ, अप्रत्यक्ष रूप से! एकबार फिर से 6000/-रूपये प्रति परिवार अनुदान की घोषणा बिहार सरकार की है। मेरा मानना है कि हम मजबूत इच्छाशक्ति से केवल एक बार पूरे अनुदान राशि को बाढ़ रोधी कार्यों में खर्च कर दे तो आधी समस्या का समाधान हो जाएगी। लेकिन इसके लिए एक मजबूत तंत्र की जरूरत है!
इसे सुशासन घोटाला कहा जाता है
Yes.har saal sewak or officers loote hai ak baar toe district magistrate bhi jail gaya thha.
May be
बाढ़ एक घोटाला है हो सकता है कोई बड़ी बात नहीं
बाढ़ आने के कारणों और उसके निदान पर नहीं सोचा जा रहा है बल्कि जब बाढ़ आ जाता है तो राहत के नाम पर कुछ राहत सामाग्री बांटी जाती है और घोटाले भी होते होंगे, उजागर इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि इसका ऑडिट नहीं होता है l बाढ़ खत्म होते ही लोग/सरकार इनके पुनः आने का इंतजार करते है
नहीं घोटालेबाज अंदर है, सब सुरक्षित है
'नदियो मे खनन..सफाई..व अनेको परियोजनाओ के नाम पर 12 महीने घोटाले चलते रहते है.तो सरकार बाढ व उसकी रोकथाम..के नाम पर पैकेज क्यो नही कैश करेगी😁 ``इस वक्त बिहार मे नीतिश सरकार बाढ पीडितो राहत नही दे रही.और वहाँ पर बाढ पीडित लोग..अपनी भूख मिटाने के लिए चूहे मारकर खा रहे है`` शर्मनाक
घोटाले के जाँच मे भी घोटाले होने लगा है
Flood in Bihar is source of income for official.
सबूत है चारा घोटला DM गौतम गोस्बामी ।इन कृत्यों के अलाबेऔर कुछ कहने की आबश्यकता नही है जब जब सरकार राहत की बात करती है सबमे घोटाला होती है जिसमें उपरोक्त से निचले स्तर मुखिया तक शामिल होते है सुक्षम जॉच की आवश्यकता है
Nearly 100% right, Any types of disasters create vast corruption.
बिलकुल है और इसकी जांच की जाए यकीन मानो चारे घोटाले वाले friend के पास नीतीश कुमार भी नजर आएगा. हमेशा बाढ़ आती है लेकिन कभी भी पहले से कोई तैयारी नहीं होती, हमेशा लोग मरते हैं और नीतीश कुमार और अन्य नेता उन पीड़ितों को देखने जाते हैं.... Helicopter से, ऊपर ऊपर... रिवाज बना दिया👿
Badh ek ghotala nahi trasdi hai, ghotala to officer log badh ka fyada utha ker kerte hai
बहुत बड़ा घोटाला
Kudrtt ka?
Yes
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