क्या होते हैं मठ और अखाड़े, क्या करते हैं वो, जानें आदि शंकराचार्य से लेकर आज के मठों तक की कहानी

  • 📰 NBT Hindi News
  • ⏱ Reading Time:
  • 100 sec. here
  • 3 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 43%
  • Publisher: 51%

इंडिया मुख्य बातें समाचार

इंडिया ताज़ा खबर,इंडिया मुख्य बातें

क्या होते हैं मठ और अखाड़े, क्या करते हैं वो, जानें आदि शंकराचार्य से लेकर आज के मठों तक की कहानी MahantNarendraGiri

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का रहस्यमयी हालत में निधन हो गया है। फिलहाल मामला आत्महत्या का लग रहा है। दावा किया जा रहा है कि महंत ने 7 से 8 पन्ने का एक सुइसाइड नोट भी लिखा है जिसके आधार पर उनके शिष्य आनंद गिरि, लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी को गिरफ्तार किया जा चुका है।महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच तनातनी की बात पिछले दिनों सुर्खियों में रही थी। हालांकि, बाद में आनंद ने गुरु के पांव पकड़कर माफी मांगी और गुरु...

Narendra Giri Death: महंत नरेन्द्र गिरि और आनंद गिरि के बीच क्या था वो विवाद, जब गुरु से शिष्य ने पैर पकड़कर मांगी थी माफीइनके बीच हिंसक संघर्ष को रोकने के लिए ही कुंभ मेलों में स्नान के लिए विभिन्न अखाड़ों का क्रम तय होता है। बात कुंभ की चली है तो यह जानना काफी दिलचस्प होगा कि वर्ष 1310 में आयोजित महाकुंभ में रामानंद वैष्णवों और महानिर्वाणी अखाड़े के बीच खूनी झड़प हो गई थी। फिर वर्ष 1760 में भी वैष्णव और शैव मत के साधुओं के बीच गंभीर संघर्ष हुआ था। फिर 1796 के कुंभ में शैव और निर्मल संप्रदाय...

बहरहाल, देश में अभी 14 अखाड़े हैं। विभिन्न संप्रदायों के मुताबिक, इन अखाड़ों के नाम और उनके मुख्यालयों की जानकारी नीचे दी जा रही है...2. पंच अटल अखाड़ा - चैक हनुमान, वाराणसी5. पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बाबा हनुमना घाट, वाराणसी7. पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा- गिरिनगर, भवनाथ, जूनागढ़9. निर्वानी आनी अखाड़ा- हनुमान गढ़ी, अयोध्या11. पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा- कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयागराजNarendra giri death: बाघंबरी गद्दी का उत्तराधिकार, मठ की संपत्तियां या शिष्यों से विवाद...

Narendra Giri Death News: मौत से एक दिन पहले महंत नरेंद्र गिरी ने क्यों मंगाई थी रस्सी? राज जो अभी खुलने बाकीआज से करीब 1,300 साल पहले आदि शंकराचार्य द्वारा शुरू की गई मठ स्थापना की परंपरा कालक्रम में तेजी से फली-फूली और आज देश के हर हिस्से में विभिन्न संप्रदायों के साधुओं के मठ हैं। कुंभ नगरी प्रयागराज में भी सभी संप्रदायों के मठ हैं। उनकी धर्मशालाएं भी हैं और मंदिर भी। यहां से जुड़े श्रद्धालुओं का आने-जाने का तांता लगा रहता है। वो यहां पूजा-पाठ के लिए आते हैं। उन्हें मठ की तरफ से पुजारी...

संतों की चकाचौंध भरी जिंदगी को लेकर संत समाज के अंदर भी मतभेद होते रहते हैं। कई संत रईसी में रहने वाले संतों को ढोंगी बताने से भी नहीं चूकते। वो पूछते हैं कि जो साधु बन चुके हैं, उन्हें मठ और ट्रस्ट आदि बनाने की क्या जरूरत है? लेकिन, हमें समझना होगा कि मठ और अखाड़े सिर्फ धर्म-अध्यात्म तक सीमित नहीं रहते हुए राजनीतिक रिश्ते कायम करने में जुट गए हैं। स्वाभाविक है कि किसी भी संस्था, संगठन या समूह में राजनीति का प्रवेश मतभिन्नता को हिंसक बनाने में सहायक तो होता ही है।दरअसल, यही वजह है कि कुछ मठाधीश...

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।

व्यभिचार के अड्डे बने हुए हैं आजकल तो !! देशहित में कोई योगदान हो तो बताएँ इसी तरह मदरसे हैं उनका भी योगदान देशहित में नगण्य है ।

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

 /  🏆 20. in İN

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

ऑकस पनडुब्बी सौदों का विवाद : भारत के लिए क्या हैं संकेतअमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई परमाणु पनडुब्बियों के सौदे को लेकर नए सिरे से विवाद उठ खड़ा हुआ है। अबे हरामखोर! ब्रिटेन का रक्षा बजट कितने का है! ग़लत जानकारी क्यों दे रहा है बे?
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »

मथुरा में मांस बिक्री पर रोक का असली मक़सद और संभावित नतीजे क्या हैं?योगी सरकार के मथुरा में मीट बैन के आदेश की वैधता पर कोई विवाद नहीं है क्योंकि इस पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पहले से ही मौजूद है, लेकिन इसके असली इरादे और संभावित परिणामों पर निश्चित ही बहस होनी चाहिए क्योंकि ये बड़े पैमाने पर लोगों के हक़ों, उनकी आजीविका और सुरक्षा से जुड़ा है. Meat and alcohol.Don't talk in a conspiratorial and incomplete way. Anti-Hindu article as always यह लेख साम्प्रदायिक है और देश हित में नही है। द वायर और लेखक दोंनो पर कार्रवाई होनी चाहिए।
स्रोत: द वायर हिंदी - 🏆 3. / 63 और पढो »

चरणजीत सिंह चन्नी को CM बनाने के क्या हैं मायने? क्या है पंजाब का जातीय समीकरण?आजादी के बाद से राज्य पर शासन करने वाले 15 मुख्यमंत्रियों में से कोई भी दलित समाज से नहीं हुआ है. 1966 में राज्य के बंटवारे से पहले पंजाब के तीन मुख्यमंत्री हिंदू मूल के थे. उसके बाद से लगभग सभी मुख्यमंत्री (ज्ञानी जेल सिंह को छोड़कर) जट सिख समुदाय से हुए हैं, जो राज्य की आबादी का 19 फीसदी ही है. 1972 से 1977 तक राज्य के सीएम रहे ज्ञानी जैल सिंह ओबीसी समुदाय के रामगढ़िया समूह से ताल्लुक रखते थे. भारतीय मीडिया एवं राजनीति सही अर्थ में अंग्रेजों का अनुसरण करते हैं, बानगी देखिए- दलित कार्ड, मुस्लिम कार्ड, फलां कार्ड, फलां वोट बैंक, मतलब राजनीति ताश का खेल,समाज और जनता इनके लिए पत्ते, फिर पत्ते पीसे भी जाते हैं,देश की जनता बावली होकर इनमें भविष्य तलाश रही है, अद्भुत 😁 जातीय समीकरण नहीं, धार्मिक समीकरण, Christianity का प्रचार प्रसार और धर्मपरिवर्तन के लिए चरणजीत को CM बनाया है ताकि सिद्धू अपनी मनमानी कर सकें, बस दिखावा है असली बैट्समैन तो सिद्धू ही हैं Accused of meetoo also🤫
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »

सहमा चीन, इंडो पैसिफ‍िक क्षेत्र में ड्रैगन के खिलाफ लामबंद हुआ अमेरिका, जानें क्‍या है AUKUSAUKUS का लक्ष्‍य आस्‍ट्रेलिया को परमाणु संपन्‍न देश बनाना है। इसके तहत आस्‍ट्रेलिया को न्‍यूक्लियर पावर्ड सबमरीन बनाने की तकनीक दी जाएगी। आखिर क्‍या है AUKUS। इंडो पैसिफ‍िक क्षेत्र में क्‍यों चिंत‍ित हुआ चीन। अमेरिका की क्‍या है बड़ी योजना।
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »

अंतरराष्‍ट्रीय कूटनीति के लिहाज से क्वाड शिखर सम्मेलन बेहद अहम, जानें क्‍या होगा भारत का एजेंडाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 24 सितंबर को वाशिंगटन में क्वाड समूह की बैठक में शामिल होंगे। अंतरराष्‍ट्रीय कूटनीति के लिहाज से यह बैठक बेहद महत्‍वपूर्ण मानी जा रही है। आइए जानें क्वाड शिखर सम्मेलन में क्‍या होगा भारत का एजेंडा...
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »

विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने की वजह सचिन तेंदुलकर कैसे हैं, ब्रैड हाग ने बतायाब्रैड हाग ने अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए कहा कि विराट कोहली के इस फैसले के पीछे कुछ बड़ी तस्वीर है। अगर लोगों को लग रहा है कि वो दवाब या कार्यभार की वजह से इस तरह के फैसले कर रहे हैं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »