REUTERS/Christian Hartmannअंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बनी ‘एक आम राय’ की वजह से मंगलवार को कच्चे तेल की क़ीमतों में उछाल देखा गया है.
आने वाले दिनों में विमानों और गाड़ियों द्वारा होने वाली तेल खपत के लिए कुछ देशों ने तेल स्टॉक करना शुरू भी किया है. इस परिस्थिति और संभावनाओं का असर मंगलवार सुबह अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की क़ीमतों पर दिखाई दिया.जिसे अमरीकी तेल का बेंचमार्क माना जाता है, में कच्चे तेल की कीमतों में 3.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जिसकी वजह से हर बैरल पर 1.06 डॉलर का फ़ायदा होता दिख रहा है और अब एक बैरल की क़ीमत 34.31 डॉलर हो गई है.
ओपेक, रूस और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों ने इसके लिए ओपेक+ नाम का समूह बनाया जिसमें करार हुआ कि ये देश अपने उत्पादन में कटौती करेंगे जो वैश्विक उत्पादन के लगभग 10 फ़ीसदी के बराबर होगी.ने कहा है कि"निश्चित रूप से ओपेक+ द्वारा की गई कटौती का असर हुआ है और ये असर वैसा है, जैसा आप उम्मीद कर सकते हैं." तेल के बड़े उत्पादकों ने पिछले करार के तहत मई और जून के उत्पादन में कटौरी करने पर सहमति व्यक्त की थी.
बहुत जल्दी सुप्रीम कोर्ट के जजों की नींद खुली है
Bahot jaldi...bol gaye saab ...aur kuch din ke baad bol dete
जज की नोकरी जाये गी
इतना आलोचना होने के बाद जब पर विश्व भारतीय न्याय व्यस्था पर थूकना शुरू कर दिया तब इन्हे अक्ल आई अभी एक और है देखते वह कब मजदूरों के मानव अधिकार की बात करता है
Murda bhi bola
Bahot jaldi Yaad aaya supreme court ko
Chutiya supreme court...
Very true
Ab dikha inhe....🤦♀️
महामहिम अब जागे
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या आए/गर होश में होते तो कुछ तो बचा लेते
खाना पूर्ती
बहुत देर कर दी आते आते
Ohh Supreme Court finally woke up? And then also just a statement? Nothing else? And they think this is enough?
सत्ता में केन्द्र सरकार है तो राज्य सरकार कैसे जिम्मेदार हुई जब लाकडाउन का पालन सारे राज्यों की सरकार कर रही केन्द्र सरकार के कहने पे तो इस हिसाब से केन्द्र सरकार जिम्मेदार है।
अब जागे महामहिम जी
बड़ी जल्दी संज्ञान लिया वह भी सौकड़ो मजदूर के मरनें के बाद
It is all kind of Godi media
It is all kind of God media
अब तो ऐसा लगता है जैसे सुप्रीम कोर्ट की बात कोई सुनता ही नहीं।
Imagine if security forces would take as long to react to a conflict on the border!!
बड़ी लंबी नींद से जगी है सुप्रीम कोर्ट
kuch jldi hi nhi le liya sangyan abhi sb mre kha hai
बहुत जल्दी लिया संज्ञान, ढीली अव्यवस्थित कानूनी व्यवस्था।
केंद्र से विश्व में बनी लाॅकडाउन की परिभाषा और परिभाषा से हैरान परेशान करने वाला विचलन उस पर स्वीकृति अब सरकार को ईश्वर पाप देना!
छोड़ गए है वो निशां ज़ुल्म ओ सितम के मालिक। राहें इतनी भी आसान नहीं है...... फ' क़त बेशर्मी को सब्र की खैरात दे गए। ~मैं एक मज़दूर~qazi_er IdrisAhmad_47 ShabeenaAdeeb AdvEjaz nayisadak ProfFMustafa
शुक्र है कि सुप्रीमकोर्ट ने देर से ही पर सही कदम उठाया।
सभी ने सबक सीख लिया है अब सुप्रीम कोर्ट की किसी को जरूरत नहीं है
Hajaro logon ko marne dene ka baad kam se kam ab courts ko sachaayi deekhne laga hi thank God.........
Par yah sarkar to baheri h bhala kiya sune dard kisi ka
A similar picture from Syria wherein a kid trudging through desert went viral across the world 2 years back and everyone condemned Syrian govt but in India this pic will be ignored because media houses have sold their conscience to the govt.
काफी देर से संज्ञान लिए
jaq577 केंद्र और राज्य सरकारों ने तो कुछ कदम उठाए भी। Supreme Court को तो लकवा मार गया है!
बहुत देर में जागे ।
WHO से 76 अरब जो कर्ज लेने थे इनकी देख भाल के लिए । मजदूर प्रवासी है और नेता एक से दूसरे राज्य में जाकर कुर्सी पर बैठे वो भी प्रवासी है लेकिन इनके दुःख दर्द पर शियासत चल रही है। उनकी सुननेवाला कोई नही है।
ये देश याद रखेगा भक्तो की बात जब मजदुर मजबूत थे तो भक्त मोदी की चाट रहे थे ओर दीवाली माना रहे थे
हाल तु सबक खराब है
मां अभी और कितनी दूर है हमारा घर
सुप्रीम कोर्ट अपने त्रिया चरित्र का संज्ञान कब लेगा...अगर SC ही सह़ी ढंग से काम करती तो आज देश में इतनी बुरी स्थिति नहीं होती...
सुप्रीम कोर्ट है या बीजेपी सुप्रीम अड्डा जुबान खोलते हुए डर लगता है
Abhi poori tarah iman nhi lay h seedhe tor pr kiyo nhi bolti sarkar ko lockdown ki tayyari pahle kr leni chahiye thi jisme vo fail h.
Ladla with mum & carrying family's responsibilities along with mum 👏👏👏😥
देर आये दुरुस्त आये
इस खबर को किसी गोदी मीडिया ने नहीं दिखाई। boycottgodimedia
Please vote Who failed in doing their duties towards citizens in pandemic
देर से आए और दुरुस्त भी नहीं आ पाए।
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