प्रकृति का क्रोध और संभावित चोट तमाम रिसर्च और विशेषज्ञ रिपोर्टों की शक्ल में हमारे पास मौजूद है। -प्रतीकात्मक फोटोप्रकृति का क्रोध और संभावित चोट तमाम रिसर्च और विशेषज्ञ रिपोर्टों की शक्ल में हमारे पास मौजूद है। -प्रतीकात्मक फोटो
चिमनियों से निकल रही ज़हरीली गैसें कई बीमारियां फैला रही हैं और आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 10 लाख लोगों की मौत के पीछे ऐसे ही बीमारियां हैं‘मुझे लगता है जो लोग इस विकल्प का इस्तेमाल करना चाहते हैं उन्हें बाद में पछताना पड़ेगा। मेरे बच्चे हैं, नाती-पोते हैं। मैं कल उनसे आंख चुराना नहीं चाहती जब वो मुझसे ये पूछें कि आपने हमारे लिए क्या किया? हमारे भविष्य को बचाने के लिए आपने क्या संघर्ष...
लेकिन क्लाइमेट चेंज भी भारत के लिए कोई छोटा-मोटा संकट नहीं है। उसे उन देशों में भी गिना जाता है। उसकी गिनती जलवायु परिवर्तन को लेकर सबसे संकटग्रस्त देशों में होती है। मिसाल के तौर पर साल 2018 में एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में दुनिया की 67 अर्थव्यवस्थाओं में भारत को सबसे अधिक खतरे में घिरा बताया गया। इससे पहले 2017 में भारत को दुनिया की छठी अर्थव्यवस्था घोषित किया गया जिसे क्लाइमेट चेंज का खतरा सबसे अधिक...
यह रिसर्च कहती है कि अगर ग्लोबल वॉर्मिंग के दुष्प्रभावों के कारण भारत की जीडीपी आज 30% कम है। बार-बार पड़ता सूखा, बाढ़, चक्रवाती तूफान और इससे बर्बाद होती खेती, लोगों के विस्थापन और आपदाओं से लड़ने में खर्च होने वाले संसाधन अदृश्य रूप से किसी कोरोना वायरस की तरह ही हमें धीरे-धीरे खोखला कर रहे हैं। तस्वीर केरल की है। भारत की 7,500 किलोमीटर लम्बी समुद्र तट रेखा से करीब 25 से 30 करोड़ लोगों की रोज़ी रोटी जुड़ी है।
पिछले राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रम्प ने क्लाइमेट चेंज को चीन और भारत जैसे विकासशील देशों का खड़ा किया हौव्वा बताया और सत्ता में आते ही अपने देश को एतिहासिक पेरिस समझौते से बाहर कर लिया। उनके साथी ब्राजील के जायर बोल्सनारो इससे एक कदम आगे निकल गए और उन्होंने अपने देश में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन होने ही नहीं दिया।
hridayeshjoshi Yes! danikbhaskar ....SaveEarth
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