कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को अडॉप्ट करने में न करें गलती, एक्सपर्ट्स ने चेताया

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महामारी के दौर में लोगों का ऐसे बच्चों को लेकर सहानुभूति जाहिर है, लेकिन ये कानून का उल्लंघन भी है coronavirus childadoption (AneeshaMathur)

देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार घातक होती जा रही है. हर दिन हजारों की संख्या में लोग दम तोड़ रहे हैं. ऐसे में कई बच्चों की सिर से मां-बाप का साया उठ जा रहा है. ऐसे में सोशल मीडिया पर ऐसे अनथ बच्चों की मदद के लिए डोनेशन या अडॉप्ट करने को लेकर पोस्ट भी बढ़ रहे हैं. महामारी के दौर में लोगों ऐसे बच्चों को लेकर सहानुभूति जाहिर है, लेकिन ये कानून का उल्लंघन भी है.

कानून के तहत, ऐसे बच्चे को पहले जिले की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के पास भेजा जाता है. वही जांच करती है और उसके बाद तय करती है कि बच्चे को परिवार या दोस्तों के पास भेजा जाए या फिर चाइल्डकेयर होम भेजा जाए. नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के चेयरपर्सन प्रशांत कनुंगो ने इंडिया टुडे को बताया कि उन्होंने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और स्टेट चाइल्ड प्रोटेक्शन कमीशन को पत्र लिखा है और ये सुनिश्चित करने को कहा है कि ऐसे बच्चे जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत संरक्षित रहें.

प्रशांत कनुंगो बताते हैं,"ऐसे सभी बच्चों को पहले चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के पास लाया जाता है. रिपोर्ट तैयार होती है. उसके बाद कमेटी ही तय करती है कि बच्चा कहां जाएगा? यहां तक कि परिवार, भाई-बहन के मामले में भी नियम हैं. ये महामारी कोई सुनमी या भूकंप की तरह नहीं है, जहां सबकुछ खत्म हो गया है. कई बच्चों के पास अपने माता-पिता की संपत्ति को हासिल करने का अधिकार है. सभी बच्चों को सारे अधिकार सुनिश्चित करान जरूरी है.

हाल ही में एनजीओ ने 17 साल के बच्चे की मदद की थी, जिसके रिश्तेदार उसे घर में रखने से पहले उसकी संपत्ति के दस्तावेज मांग रहे थे. कौर का कहना है कि इस तरह के कई मामले आ सकते हैं. उनका कहना है कि अब तक हजारों बच्चे ऐसी परिस्थितियों से जूझ रहे होंगे.

 

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