भारत में पिछले साल कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए तिहाड़ जेल से कुछ कैदियों को परोल पर रिहा किया गया था। इसका मकसद जेल में किसी तरह की महामारी के फैलाव को रोकना था। जेल प्रशासन ने अधिकतर विचाराधीन कैदियों को परोल दे दी थी। अब सामने आया है कि पिछले साल जिन 6740 कैदियों को रिहा किया गया, उनमें से 3468 लोगों का रिकॉर्ड जेल अधिकारियों के पास नहीं है। यानी ये कैदी लापता हो गए हैं। बताया गया है कि जो कैदी छोड़े गए थे, उनमें से कई एचआईवी, कैंसर, किडनी की बीमारी, हेपटाइटिस बी या सी, दमा और टीबी के...
मार्च को शुरू हुई और उन्हें मार्च के अंत तक सरेंडर करने के लिए कहा गया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोरोना महामारी को देखते हुए पिछले साल मार्च में ही कुछ कैदियों को जेल से निकालने की सलाह दी गई थी, ताकि जेलों को खाली किया जा सके। इसके बाद सभी राज्यों ने इस पर अमल करने के लिए कई हाई-पावर्ड कमेटी बनाईं। राज्यों ने कैदियों को जमानत पर 30 से 60 दिन के लिए रिहा भी कर दिया था। दिल्ली में ऐसी ही हाई-पावर्ड कमेटी की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट की जज हिमा कोहली कर रही थीं.
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