हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो है ही लेकिन अब हम भी कह रहें हैं कि चाहे जैसे भी हो केंद्र सरकार फ़ौरन दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मुहैया कराए.गुजरात हाईकोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया कि वो इस बात से बहुत व्यथित है कि कोरोना के मामले में सरकार उसके आदेशों की पूरी तरह अनदेखी कर रही है.
जानकारों का मानना है कि सोमवार को प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर पटना उच्च न्यायालय की फटकार के बाद ही मंगलवार को राज्य भर में 15 मई तक के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. अस्पतालों में बिस्तर और वेंटीलेटर की कमी है. वहीं केंद्रीय कोटा से हर दिन मिलने वाले 194 मीट्रिक टन की जगह 160 मीट्रिक टन ही क्यों आपूर्ति की जा रही है. कोर्ट के निर्देश के बावजूद इएसआई अस्पताल, बिहटा पूरी क्षमता के साथ नहीं चालू किया जा सका है.के अनुसार मंगलवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार के पास डॉक्टर, वैज्ञानिक, अधिकारियों की कोई सलाहकार समिति तक नहीं है जो अपने अनुभवी विचार इस महामारी से निपटने के लिए दे सके.
आदरणीय देश के पहले हिन्दू प्रधानमंत्री और भीख मांग कर विश्व गुरु बनने वाले भक्तों के चौकीदार को अंतरात्मा के आवाज़ और जनता की मन की चाहत पर खुद ही इस्तीफा दे कर एक बार राजनाथ सिंह या अमित शाह, या योगी जी को देश चलाने का मौका देना चाहिए
बीबीसी तुम कोई दुसरे देश का कोर्ट का example दे । कोरोना हर देश में है ।
मुस्लिम आज भी 8 या 10 बच्चे पैदा करते है इन के बारे में भी बोलना चाहिए कोर्ट को .1.50 करोड़ आबादी को कहा से सब सुविधा मिलेगी कुछ बीबीसी को भी समझाना चाहिए मुलो को.
मेरी भारत मुख्य न्यायधी पति जी से फिर निवेदन है कृपया करके कोर्टो को कहें की अभी संकट घड़ी में ऑफिसर का ड्रॉक्टरो का पुलिस को तंग न करे समनंतर सरकार न चलाएं । हां कमी है लेकिन अगर किसी गृह के अंदर कोई लड़का नालायक होता तो उसको प्रेम से ही काम लिया जाता न की डांट डपट कर । सोचे
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सही
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