कोरोनाः दूसरी लहर के चार महीने, पहली के एक साल पर भारी, जानें कैसे मची तबाही

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दूसरी लहर के चार महीनों में इतनी मौतें हुईं, जितनी सालभर में नहीं हुई थी | Coronavirus CovidSecondwave RE

दूसरी लहर जितनी तेजी से बढ़ी, उतनी तेजी से गिरी भी

कोरोना की दूसरी लहर में पहली लहर के पीक से भी 4 गुना ज्यादा मामले सामने आने लगे थे. दूसरी लहर का पीक 7 मई को आया. उस दिन 24 घंटे में 4.14 लाख केस मिले थे और उसके बाद अगले दिन से ही कोरोना के मामलों में कमी आने लगी. एक राहत की बात ये भी है कि दूसरी लहर जितनी तेजी से बढ़ी, उतनी ही तेजी से गिरी भी. इसको ऐसे समझते हैं कि पहली लहर में एक दिन में 50 हजार केस मिलने का आंकड़ा 30 जुलाई को पार कर गया था. उस दिन 52,123 केस आए थे. उसके बाद यहां से पीक तक यानी 17 सितंबर तक पहुंचने में 49 दिन का वक्त लगा. दोबारा 24 घंटे में 50 हजार से कम केस 26 अक्टूबर से आने शुरू हुए. यानी, पहली लहर में वापस से 30 जुलाई के स्तर पर पहुंचने में 88 दिन लग गए.

अब बात दूसरी लहर की. क्योंकि दूसरी लहर का पीक 4 लाख को पार कर गया. इसलिए यहां 50 हजार की जगह 1 लाख का आंकड़ा रखते हैं. दूसरी लहर में 5 अप्रैल को नए केस का आंकड़ा 1 लाख को पार कर गया था. उसके बाद पीक आया 7 मई को. उसके बाद 8 जून से हर दिन 1 लाख से कम केस आ रहे हैं. इस हिसाब से दूसरी लहर में 64 दिन में ही नए केस 1 लाख से कम आने लगे. इससे हम मान सकते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर की तुलना में ज्यादा जल्दी कमजोर पड़ी.

 

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