हरियाणा के रेवाड़ी में रहने वाले पुनीत अरोड़ा ने भी इसी साल मई में अपने पिता को खोया है.
ललित, गौतम और पुनीत तीनों की बातें सुनकर अच्छी तरह समझा जा सकता है कि इन सभी को मदद की ज़रूरत है. किसी ऐसे की ज़रूरत, जिसके सामने ये कम से कम जी भरकर रो सकें.यह लिस्ट मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर बनाई गई है.एक क्लीनिकल साइकॉलजिस्ट हैं और उन्हें 'ग्रीफ़ थेरेपी' और 'ग्रीफ़ काउंसलिंग' में विशेषज्ञता हासिल है.
नीतू राणा इसे उदाहरण के ज़रिए समझाने की कोशिश करती हैं. वो कहती हैं, "मान लीजिए किसी की अचानक मौत हो गई. ऐसे में उसके करीबी मौत जैसी स्थिति के लिए मानसिक रूप से बिल्कुल तैयार नहीं होते और उन्हें गहरा सदमा लगता है." डॉक्टर नीतू बताती हैं, "कई बार लोग अपनों को खोने के बात इस तरह की बातें सोचते हैं- अभी आप मुझे छोड़कर कैसे जा सकते हैं? अभी तो हमें इतनी बातें करनी थीं या साथ में इतना वक़्त बिताना था. मुझे अपने साथ लेकर क्यों नहीं गए? वगैरह-वगैरह."
डॉक्टर नीतू के मुताबिक़ इस प्रक्रिया में पीड़ित व्यक्ति की अनसुलझी भावनाएं काफ़ी हद तक सुलझ जाती हैं, उसकी शिकायतें कम हो जाती हैं और वो सच्चाई को स्वीकार करने की मानसिक स्थिति में आ जाता है.डॉक्टर नीतू के मुताबिक़ कोरोना से जुड़े मामलों में परेशानी यह है कि लोगों को अपने प्रियजनों को अंतिम बार गले लगाने का मौका भी नहीं मिल रहा है.
डॉक्टर नीतू कहती हैं, "मुझे डर है कि जब यह महामारी ख़त्म होगी, दुनिया खुलेगी और सबकुछ सामान्य होगा तब लोगों को अपनों के न होने के अहसास अचानक से बढ़ जाएगा. तब कॉम्प्लिकेटेड ग्रीफ़ और अनरिज़ॉव्ल्ड इमोशंस और तेज़ी से उभर कर सामने आएंगे. मुझे लगता है कि तब लोगों को मानसिक तौर पर और ज़्यादा मदद की ज़ररूत पड़ेगी."बैंगलोर में बतौर थेरेपिस्ट काम करती हैं और कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिनों उनके पास ग्रीफ़ काउंसलिंग के लिए आने वालों की संख्या काफ़ी बढ़ी है.
वो बताती हैं, "ग्रुप थेरेपी में लोग एक-दूसरे का सहारा बनते हैं और एक-दूसरे की दुख से उबरने में मदद करते हैं." वो कहती हैं, "देश में लोग पहले ही ग़रीबी, बेरोज़गारी, बीमारियों, तरह-तरह की हिंसा और भेदभाव से जूझ रहे हैं. अब महामारी में अपनों की मौत उन पर पहाड़ बनकर टूटी है. ऐसी स्थिति में उन्हें न सिर्फ़ काउंसलिंग या थेरेपी बल्कि दूसरे तरह के सपोर्ट की ज़रूरत भी है. मसलन, आर्थिक और सामाजिक सहयोग."वो कहती हैं, "कोरोना महामारी जैसी भयावह स्थिति में लोगों की परेशानियाँ अकेले सायकाइट्रिस्ट या साइकॉलजिस्ट नहीं संभाल सकते.
Sindhuvasini हमे बिमारी हे मौत का गम नही सरकार की धोखाधड़ी से जैसे जाने IITमदरास तक कह गई ईलाज 81%बूढो को नही भारत मे और जिन्हे उपलब्ध उन्हे उम्मिद कार्ड जैसे धोखे खर्च तक डकारे केंद्र सामने आने बाद भी सुधार क्या
Aditya Birla sun life insurance is a fraud company and looting the people through their insurance policies. I request to all Indians not to purchase the insurance policies of Aditya Birla sun life insurance. Otherwise, you have to weep for your decision.
साहस ही जीवन का आधार है
देह गया.. रूह तो है .. भगवान मूर्त नही देखा .. कोई तो.. उस भाव में ..अब सदा वास करे☄️
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