ये महामारी सबको बराबरी की नज़र से नहीं देखती. कुछ लोग खिली हुई धूप वाले बाग़ीचों में आइसोलेशन का पालन कर रहे हैं. तो, अन्य लोग अपने छोटे छोटे अपार्टमेंट की खिड़कियों से झांकते दिखाई देते हैं.
इससे भी पीछे जाकर इतिहास के पन्ने खंगालें, तो पिछली सदी के तीसरे दशक में अमरीका में आई महा मंदी से सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का उदय हुआ था. ब्रिटेन में दूसरे विश्व युद्ध के बाद ही बेहद मशहूर और सम्मानित नेशनल हेल्थ सर्विस की शुरुआत हुई थी. ग्रैविटी पेमेंट्स, अमरीका के सिएटल में स्थित है. अमरीका में जिन जगहों पर सबसे पहले कोरोना वायरस का हमला हुआ था, उनमें सिएटल भी शामिल था.
लेकिन, प्राइस को ये भी पता था कि उनके पास अपने ग्राहकों से मिलने वाला कमीशन बढ़ाने का विकल्प भी नहीं है. क्योंकि उनके ग्राहक भी इस लॉकडाउन से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. और प्राइस को ये पता नहीं कि उनके पास और क्या विकल्प हैं. लेकिन, जल्द ही बहुत असाधारण बात होने वाली थी.हम एक ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं, जब दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक प्रयोग हो रहे हैं. ये ऐसे तज़ुर्बे हैं, जो शायद हम अपनी ज़िंदगियों में दोबारा न देख पायें. जब नया कोरोना वायरस दुनिया के तमाम देशों में फैल रहा है.
वो कहते हैं कि कई देशों की सरकार इस बात के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं कि उनकी योजनाओं का लाभ उन असल लोगों तक पहुंचे, जिन्हें इनकी सबसे ज़्यादा दरकार है. और जिनके लिए मदद की ये योजनाएं चलाई जा रही हैं. वो कहती हैं कि, 'सवाल ये है कि इस संकट का मुक़ाबला करने के लिए सरकार की कितनी बड़ी और व्यापक भूमिका होनी चाहिए.'
डोरोथी गुएरेरो को भी ये लगता है कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम की योजना पर विचार करना अच्छा होगा. क्योंकि जिन कामों को पहले कम हुनर वाली नौकरी कहा जाता था, जैसे कि सामान की डिलिवरी करने वाले, सामान की पैकेजिंग करने वाले, फल और सब्ज़ियां जमा करने वाले, वो आज हमारे अस्तित्व को बचाने के लिए बेहद ज़रूरी हो गए हैं.
स्पियर्स कहते हैं कि, 'तीन हफ़्ते से ज़्यादा वक़्त बीत चुका था, तो हमें तो बस जहाज़ के डूबने का इंतज़ार था.' मीटिंग के लिए तैयारी करते हुए स्पीयर्स के ज़हन में बहुत बुरे ख़याल आ रहे थे. प्राइस ने बताया कि मीटिंग में एक भले आदमी ने कहा कि, 'सुनो..मेरी पत्नी ख़ूब पैसे कमाती है. मुझे अभी सैलरी की ज़रूरत नहीं है.' ये बात सुन कर कॉन्फ्रेंस कॉल में शामिल कई लोग हंसे भी थे. लोगों ने कहा कि भला कोई ऐसी बात सरेआम भी कहता है!
लेकिन, जेयर्ड स्पीयर्स के लिए ये कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी. उनके हिसाब से बस इसका समय ठीक नहीं था. क्योंकि वो कुछ दिनों पहले ही पिता बने थे. और उनकी पत्नी काम नहीं कर रही थीं. लेकिन, दोनों ने मिल कर ये तय किया कि वो सैलरी में 20 प्रतिशत कटौती का बोझ उठा सकते हैं.
महत्वपूर्ण लेख हेडलाइन
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bbc 1720 1820 1920 में भी महामारी आई दुनिया अपनी गति से चलती रही और अब 2020 में भी महामारी आई है। एक न एक दिन संसार फिर अपनी गति से चलेगा परंतु इस दौर में एक बात देखने को मिली है। इस महामारी में भी BBC दलाली करने से बाज नहीं आया
New moovi start....
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इस आपदा काल में, हमारे देश के माननीय सांसद विधायक एवं संवैधानिक प्रतिनिधि जो करोड़ो अरबों रुपये की निजी सम्पत्ति के मालिक हैं, उन्हें अपनी सम्पत्ति का एक बड़ा हिस्सा राष्ट्र को समर्पित कर देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने स्वयं को सच्चा जनसेवक घोषित कर देश सेवा ही अपना लक्ष्य रखा है ।
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