फिर आया चुनावों का मौसम, सो फिर दिखने लगे गांधी परिवार के वारिस। असम में प्रियंका बहन दिखीं चाय बगान में महिला मजदूरों के साथ मुस्करा कर, पीठ पर लटका कर टोकरी काम करने का नाटक करती हुई। बाद में सोशल मीडिया पर उनके ये शब्द दिखे, ‘पल भर में ही उन्होंने मुझे अपना लिया। तमाम दिक्कतों के बाद भी आपका मन निश्चल है। चाय बगानों की इन महिला श्रमिकों के हाथों की अंगुलियां छूकर मैंने देखी। उनमें गांठें पड़ गई हैं। इनके जीवन में थोड़ी राहत पहुंचा पाना ही मेरी राजनीति का धर्म है’। श्रीमती वाड्रा का इरादा शायद...
दिखे स्वीकार करते हुए कि इमरजेंसी लगा कर उनकी दादी ने गलती की थी। कहा ‘इस बात को तो मेरी दादी ने भी स्वीकार किया था बाद में। सबसे बड़ा झूठ था यह कहना कि इमरजेंसी में लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का प्रयास नहीं हुआ था, इसलिए कि कांग्रेस ऐसा कर नहीं सकती है। आगे कहा कि ऐसा सिर्फ आरएसएस के लोग कर सकते हैं हर संस्था में अपने लोगों को बिठा कर। राहुल गांधी की यह बात सुनी तो हैरान रह गई। क्या उनकी राजनीतिक समझ इतनी कमजोर है कि जानते नहीं हैं कि उनकी दादी ने इमरजेंसी लगाने के बाद पूरी तरह हर...
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