कांग्रेस पर बरसे शिवराज, कहा- कृषि कानून में सुधार की करती थी वकालत, अब लिया यू-टर्न

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शिवराज सिंह चौहान बोले - किसानों को भ्रमित किया जा रहा है Politics FarmersProtest

'सरकार किसानों से संवाद के लिए तैयार'

नए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलित किसान दिल्ली की सीमा पर डटे हैं. केंद्र सरकार किसानों को मनाने की कोशिश में लगी है, वहीं किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं. इन सबके बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब मंडी से जुड़े कानून और कृषि कानून में सुधार की वकालत करती थी. 2019 के अपने चुनाव घोषणा पत्र में भी कांग्रेस ने कृषि कानून में सुधार का वादा किया था. आज जब वे सुधार लागू हो गए तो कांग्रेस यू टर्न ले रही है.

आजतक से बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज जब उनकी राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है तो उन्हें लगा कि किसानों की आड़ में अपनी राजनीतिक जमीन पुख्ता करने की कोशिश करें. आम आदमी पार्टी को बिन पेंदी का लोटा बताते हुए शिवराज ने कहा कि आज जब कृषि कानून लागू हो चुका है, विधानसभा में इसकी प्रतियां फाड़ी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि वे अपने स्वार्थ की सिद्धि के लिए काम कर रहे हैं. किसानों को भ्रमित कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश के सीएम ने कहा कि मैं खुद भी किसान हूं. नए कानून किसानों के हित में हैं. मध्य प्रदेश का किसान सरकार के साथ खड़ा है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को विजनरी नेता बताते हुए कहा कि उन्होंने यह फैसला किया कि किसान बंधक ना रहे. किसान मंडी में बेचे, एक्सपोर्टर को बेचे, जो ठीक कीमत दे, उसको अपना उत्पाद बेचे. इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है. शिवराज ने कहा कि जब से ये कानून बने, तब से हम मध्य प्रदेश के किसानों से संवाद कर रहे हैं.

शिवराज ने कई राज्यों में पहले से ही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का उल्लेख किया और कहा कि यह मजबूरी नहीं है. किसान को फसल से पहले ही अपने उत्पाद की कीमत पता चल जाए तो कृषि जुआ नहीं रह जाएगी. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़े एक सवाल के जवाब में मध्य प्रदेश के सीएम ने होशंगाबाद में धान की खेती करने वाले किसानों का उदाहरण देते हुए कहा कि तब 3000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कॉन्ट्रैक्ट कर खेती करने का उदाहरण दिया और कहा कि तब कंपनी के अपने कॉन्ट्रैक्ट से मुकरने पर एसडीएम ने कंपनी से उसी दर से कीमत दिलवाई.

 

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