क़तर में शूरा काउंसिल की सिफ़ारिशें भारतीय कामगारों की मुश्किलें बढ़ाएगी? - BBC News हिंदी

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क़तर में शूरा काउंसिल की सिफ़ारिशें भारतीय कामगारों की मुश्किलें बढ़ाएगी?

इन सिफ़ारिशों में मज़दूर जिस कंपनी में आ रहा है, उसके वित्तीय और क़ानूनी दर्जे को सुनिश्चित किए जाने की बात की गई है.

सिफ़ारिश के मुताबिक़, क़तर छोड़कर जाने वालों को कंपनी से एग्जिट परमिट लेना अब 10 फ़ीसदी वर्कर्स के लिए ज़रूरी होना चाहिए. पहले ये शर्त केवल पाँच फ़ीसदी कर्मचारियों के लिए ही थी.शूरा काउंसिल की इन विवादित सिफ़ारिशों में कहा गया है कि कॉन्ट्रैक्ट अवधि के दौरान कोई माइग्रेंट वर्कर अपनी नौकरी नहीं बदल पाएगा.

मध्य पूर्व मामलों के जानकार कमर आगा कहते हैं, "शूरा काउंसिल एक सलाहकार परिषद है. ये अलग-अलग मसलों पर सरकार को सलाह देती है, लेकिन असली ताक़त राजा के हाथ में ही है." भारत से भी बड़ी तादाद में मज़दूर और हर तरह के कर्मचारी क़तर जाते थे और उनके लिए ये सुधार एक बड़े फ़ायदे के तौर पर सामने आए थे. आगा कहते हैं, "क़तर ने इस घेरेबंदी के बावजूद सऊदी अरब के साथ अपने रिश्तों को ख़राब होने नहीं दिया है. और उसने ये पूरा संकट बेहद संजीदगी से हैंडल किया है. इससे दुनियाभर के मुस्लिम देश उससे प्रभावित हुए हैं. इसी वजह से क़तर ने अपने यहाँ लेबर रिफ़ॉर्म भी किए थे.

 

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