कश्मीर पर तालिबान और अल-कायदा के अलग अलग सुर | DW | 02.09.2021

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तालिबान सदस्य अनस हक्कानी ने कहा है कि उनका संगठन कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा. इसे भारत के लिए राहत भरी घोषणा के रूप में देखा जा रहा है. Taliban Kashmir

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अनस हक्कानी"हक्कानी नेटवर्क" संगठन के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी का भाई है. मूल रूप से"हक्कानी नेटवर्क" तालिबान से भी पुराना संगठन है. 1995 में इसने तालिबान के प्रति निष्ठा व्यक्त कर दी थी और तबसे यह एक तरह से तालिबान का हिस्सा ही बन गया है. सिराजुद्दीन हक्कानी को तालिबान के चोटी के नेताओं में गिना जाता है.

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

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These are sign that India should pick gladly, but shouldn't blindly. Therefore india must start some informal engagement with them. Because stakes here are high. But also not trust them anyhow. Otherwise money can buyout anything. Therefore keep talking with them. & Wait & watch.

Aukaat nahi hai inaki. Gand me daam hai to aaye border pe.

भारत का तोह पता नही लेकिन तालिबान को जरूर राहत मिलेगी इससे।

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