शहीद की बेटी जुई बोलीं- मां को लगता है, अगर पापा वियना में रह जाते तो ऐसा नहीं होता26/11 आतंकी हमले में महाराष्ट्र के तत्कालीन ATS चीफ हेमंत करकरे शहीद हुए थे। अब 13 साल बाद उनकी बेटी जुई करकरे ने अपने पिता को लेकर कई अनुभव शेयर किए हैं। जुई ने अपने पिता की बहादुरी, उनका मॉटिवेशन, देश प्रेम और मुंबई हमले के बाद की मुश्किलों को भास्कर के साथ साझा किया है। इसे हम जस का तस आपके सामने पेश कर रहे हैं...
पोस्टमार्टम के वक्त की लिस्ट में काफी सामान था, लेकिन बुलेटप्रूफ जैकेट गायब थी। मै शॉक्ड थी कि यह कैसे हुआ। मां इस सवाल के जवाब में बीमार हो गई। बहुत लोग घर में आते रहते थे, बोलते थे कि हम करकरे परिवार के साथ हैं। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था। मीडिया और कुछ NGO ने इन सवालों को फॉलो किया था। मां जानना चाहती थी कि आखिर बुलेट प्रूफ जैकेट कहां गई?
मां के दिमाग में कभी-कभी आता था कि अगर हम वियाना में ही रह जाते तो शायद आज ऐसा नहीं होता। मां को लगता था बतौर ATS चीफ पापा की जॉब काफी रिस्की है, लेकिन पापा को कभी ऐसा नहीं लगा। उनका तो जीवन में एक ही फोकस था कि खाकी पहनी ही है ताकि देश की सेवा कर सकूं। कुछ लोग पापा के बारे में अच्छा नहीं बोलते हैं। मुझे इससे तकलीफ होती है।
मेरे पास दो बच्चियां हैं। ईशा और रुतजा। ईशा 10 साल की है और रुतुजा 7 साल की। शुरू में मुझे बहुत दिक्कत हुई। मेरे पेरेंट्स एक के बाद एक इस दुनिया से चले गए। मैं बहुत तकलीफ में रहती थी, लेकिन किताब लिखते समय हमेशा सोचती थी कि मेरे पापा ने मुझे क्या सिखाया है, इसीलिए मैं चाहूंगी कि बाकी लोग भी यह किताब पढ़ें।
बड़े होकर पता लगा कि मेरे पापा की जान खतरे में है, लेकिन वह घर का माहौल खुश रखते थे। बच्चों पर इसका असर नहीं पड़ने दिया कि उनकी जॉब कितने खतरे वाली है। पापा मेरे हर जन्मदिन पर हमेशा खुद पार्टी ऑर्गनाइज करते थे। कौन सा म्यूजिक बजाना है, जादूगर को लाना है, ताकि बच्चों को अच्छा लगे, मेरे लिए कौन सा तोहफा लाना है। वह यह सब बहुत ध्यान से चूज करते थे।
मां को कई बार अकेले रहना पड़ा। जब मेरा भाई पैदा हुई तो पापा को तुरंत चंद्रपुर जाकर ज्वॉइन करना था। पापा ने इसकी परवाह नहीं की कि उनका बच्चा पैदा हुआ है। उस वक्त मैंने, मेरी बहन ने ही मां और भाई को संभाला। पापा घर हमेशा लेट आते थे, मां टीचर थीं। उन्हें भी सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाना पड़ता था। लाइफ बहुत टफ थी, लेकिन वे लोग मैनेज करते थे। पापा फिजूल खर्च से बहुत गुस्सा होते थे। जैसे अगर मां महंगे कपड़े खरीद लिया करती थीं, तो पापा गुस्सा होते थे कि यह तो किसी फिल्म स्टार के बच्चे को ही शोभा...
लगभग 8 साल का होऊँगा जब यह घटना घटित हुई थी।हिंदुस्तान पेपर में हेमंत करकरे के शहीद होने की खबर पढ़ी थी,जो कि आज भी आँखों में कैद है।बाल मन में कलेक्टर और रियल हीरो वाला ख्वाब तभी से हिलोरें मारने लगा था।सेल्यूट :')
श्रध्दांजलि 🙏🏻
Yahi bachi... Warna ab tak bhagva terror pura khel khul jaata...
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