3-1 से सिरीज हारने और 2-2 से ड्रॉ होने के पीछे टीम के चयन, बैटिंग के दौरान लेंथ के गलत आकलन, खराब किस्मत, अंपायर के ख़राब फ़ैसले जैसी चीजों को वजह माना जा सकता है. या फिर यह कहा जा सकता है कि विपक्षी टीम बहुत अच्छी थी.
आख़िरी टेस्ट मैच में जब भारत 6 विकेट पर 146 रनों के साथ खेल रहा था, तब शायद इंग्लैंड को लग रहा था कि सिरीज ड्रॉ हो जाएगी. लेकिन तब ऋषभ पंत ने जबरदस्त पारी खेली और मैच का रुख पलट दिया. भारत ने जसप्रीत बुमरा, इशांत शर्मा, मुहम्मद शमी, अश्विन और रविंद्र जडेजा जैसे दिग्गजों का ज्यादा इस्तेमाल किए बगैर ही ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की सीरीज को खेला है. दूसरी ओर, केएल राहुल और हार्दिक पांड्या जैसे मजबूत रिकॉर्ड वाले खिलाड़ियों को भी उतारने की जरूरत नहीं पड़ी.
इसका मतलब यह है कि कोहली , चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य राहाणे जैसे सीनियर खिलाड़ियों के अपेक्षाकृत कम सफल रहने के बावजूद टीम इस कॉन्फिडेंस के साथ खेली कि दूसरे खिलाड़ी बढ़िया परफॉर्म करने में सक्षम हैं.इंग्लैंड के खिलाड़ियों पर दबाव इसके साथ ही भारत के वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्वॉलिफाई करने के चांस को खतरे में डाल दिया था. ऑस्ट्रेलियाई टूर से पहले कोहली ने डब्ल्यूटीसी के नियमों में बदलाव की मांग की थी. उन्होंने इसे एक "भटकाने वाला" करार दिया था.
जून में जब भारत इंग्लैंड में डब्ल्यूटीसी फाइनल के लिए न्यूजीलैंड से भिड़ेगा, उस वक्त भारत ज्यादा गंभीरता के साथ इसे खेलेगा, जिसकी 1983 या 2007 में कमी दिखाई दी थी.
Koi viram nhi hai abhi to Lords me jo hoga uske bad phir uthenge ... Virat ke bs ki nhi hai kaptani
हर मैंच फिक्सड है।bc public चूतिया है
Congratulations
Kutta hai Kohli bjp da
Success/Performance has many fathers .....failure has none.
लेकिन पिच को लेकर सवाल अभी भी अपनी जगह पर हैं।
Ye jeet kohli ke karan nhi bowlers ke karan mili hai and also thanks to England
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