नीतीश कुमार को खुश होना चाहिए. उन्होंने उन जनमत सर्वेक्षणों को गलत साबित कर दिया जिन्होंने दबी-छिपी सत्ता विरोधी लहरों के बहाव में उनका सूपड़ा साफ होने की भविष्यवाणी की थी. पूरे जी-जान से लड़े गए बिहार विधानसभा चुनाव के जब नतीजे आए तो नीतीश की अगुआई में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन ने साधारण-सा बहुमत हासिल कर लिया और उस महागठबंधन की पक्की चुनौती को नाकाम कर दिया जिसकी अगुआई उनके पुराने राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद यादव के नौजवानबेटे तेजस्वी यादव कर रहे थे.
महिला मतदाताओं के साथ-साथ, लगता है सुशासन के उनके पिछले रिकॉर्ड से कमाई गई सद्भावना और भाजपा के साथ गठबंधन जारी रखना भी नीतीश के हक में गया है. असल में, यह दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तूफानी चुनाव अभियान ही था जिसने गठबंधन को हार की कगार से पीछे खींच लिया. प्रधानमंत्री की भारी लोकप्रियता कायम है और अपनी हरेक जनसभा में उन्होंने नीतीश का जबरदस्त समर्थन किया.
इस बीच, जद के प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि ''वोट के आंकड़ों को अलग-अलग नहीं देखना चाहिए क्योंकि जीती गई कुल 125 सीटें नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बने रहना पक्का करेंगी.’’ नीतीश ने अति पिछड़ी जातियों और तमाम जातियों की महिलाओं का रंग-बिरंगा गठबंधन भी जोड़ा, जिसने सत्ता कायम रखने में एनडीए की मदद की है. हालांकि इन नतीजों के बाद विधानसभा में उनकी ताकत कम हो गई है, लेकिन जद इस बात से तसल्ली कर सकता है कि उसके वोट जस के तस हैं .
राजद की अगुआई वाले महागठबंधन को मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में नुक्सान उठाना पड़ा जहां असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने पांच सीटें जीतीं. अल्पसंख्यक समुदाय ने पारंपरिक तौर पर हालांकि कांग्रेस और राजद को वोट दिया, लेकिन इन सीटों पर उसने एआइएमआइएम को तरजीह दी. इस पार्टी ने जो पांच सीटें जीतीं, उनमें से दो पर जद और एक-एक पर राजद, कांग्रेस और भाजपा को हराया. एआइएमआइएम ने 5,23,000 वोट हासिल किए और कहा जाता है कि इसने महागठबंधन की जीत की संभावनाओं को नुक्सान पहुंचाया.
नीतीश और भाजपा के लिए बड़ी चिंता बेरोजगारी के मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया होगी. पिछली सरकार में भाजपा के एक वरिष्ठ मंत्री कहते हैं, ''सरकार तेजस्वी के उठाए मुद्दों की अनदेखी नहीं कर सकती है. हमारा आकलन है कि वे राजद के मुस्लिम-यादव आधार में नए वोटर जोडऩे में सफल नहीं हो पाए हैं, लेकिन अगर हम बिहार में उनकी ओर से तैयार की गई नौकरियों की एक नई चुनाव कथा पर काम करने में असमर्थ रहते हैं, तो हम उन्हें एक नया वोट बैंक सौंप देंगे.
आप की चैनल को लड़ा ने का अच्छा तजुरबा है ! जैसे नितिन जी ने आकर आपके कानो में कहा हो ! आप की चैनल विरोधियों की चैनल में से एक है जो विरोधा भास पैदा करवाती है सरकार चल रही है अब किसी से किसी को क्यों विरोध! नीतीश जी अपनी जगह है वो क्यों नाराज होंगे ! २० साल की दोस्ती है ये उद्धव
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