इमरान खान के कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने के बाद सऊदी अरब आलोचनाओं के घेरे में है। दरअसल, इमरान सऊदी के दबाव के चलते ही सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे। इसी पृष्ठभूमि के बीच प्रिंस फैसल पाकिस्तान पहुंच रहे हैं। बता दें कि कुआलालंपुर सम्मेलन को मुस्लिम देशों का एक नया संगठन बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जो सऊदी के नेतृत्व वाले इस्लामी सहयोग संगठन का विकल्प बन सकता है।
बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के 18-20 दिसंबर तक मलयेशिया में होने वाले कुआलालंपुर समिट में हिस्सा लेने पर रियाध ने नाराजगी जताई थी जिसके बाद खान ने अपना फैसला वापस ले लिया। लेकिन इसके कारण प्रधानमंत्री इमरान खान को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अपने देश के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निंदा झेलनी पड़ रही है। बता दें कि इस समिट का आयोजन मुस्लिम नेताओं और बुद्धिजीवियों को ऐसा मंच प्रदान करने के तहत किया गया है, जहां वे अपने विचारों का आदान-प्रदान और मुस्लिम...
इससे पहले 20 दिसंबर को विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आयशा फारूकी ने बताया था कि पाकिस्तान कुआलालंपुर समिट में हिस्सा नहीं लेगा। समिट में शामिल होने की वजह पाकिस्तान सरकार की ओर से यह बताई गई कि इस्लामाबाद इन मामलों में अपनी तटस्थता बरकरार रखना चाहता है। इमरान खान के कुआलालंपुर शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने के बाद सऊदी अरब आलोचनाओं के घेरे में है। दरअसल, इमरान सऊदी के दबाव के चलते ही सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे। इसी पृष्ठभूमि के बीच प्रिंस फैसल पाकिस्तान पहुंच रहे हैं। बता दें कि कुआलालंपुर सम्मेलन को मुस्लिम देशों का एक नया संगठन बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जो सऊदी के नेतृत्व वाले इस्लामी सहयोग संगठन का विकल्प बन सकता है।बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के 18-20 दिसंबर तक मलयेशिया में होने वाले कुआलालंपुर समिट...
इससे पहले 20 दिसंबर को विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आयशा फारूकी ने बताया था कि पाकिस्तान कुआलालंपुर समिट में हिस्सा नहीं लेगा। समिट में शामिल होने की वजह पाकिस्तान सरकार की ओर से यह बताई गई कि इस्लामाबाद इन मामलों में अपनी तटस्थता बरकरार रखना चाहता है।
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