इस्टमंड लिखते हैं कि मुस्लिम राज्यों में शासकों की मुस्लिम पत्नियों का जीवन ईसाई पत्नियों से इतना भिन्न था कि ईसाई महिलाओं को कम से कम सैंद्धांतिक तौर पर, अपने और अपने बच्चों के लिए दूसरी बीवियों से ख़तरा नहीं था.
"इस प्रकार, अपनी शादी के फ़ैसले में मर्ज़ी शामिल न होने और एक मोहरे के बावजूद, ऐसा लगता है कि इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अधिक फ़ायदा टेम्टा को ही हुआ."12वीं और 13वीं शताब्दी में अनातोलिया में अय्यूबियों के शक्तिशाली मुस्लिम विरोधी सेल्जुक़ शासकों में मिलता है. जहां सुल्तानों ने एक बार पांच पीढ़ियों तक ईसाई राजकुमारियों से शादी की थीइस्टमंड लिखते हैं कि अल-अशरफ़ के लिए टेम्टा से शादी करना ज़रूरी नहीं था.
लेकिन रानी टेमर की सारी शक्ति के बावजूद, टेम्टा के साथ होने वाले व्यवहार से साबित होता है कि, एक महिला के रानी बनने का मतलब यह नहीं था कि, हर महिला को अपने जीवन के निर्णय लेने का अधिकार था. संक्षेप में, जब जलालुद्दीन ख्वारिज़्मी ने तबरेज़ की घेराबंदी की तो मलिका ने निश्चित हार को देखते हुए शहर के पदाधिकारियों की सहमति से आक्रमणकारी के साथ समझौता करके शहर उसको सौंप दिया.
इस्टमंड ने उस समय के इतिहासकार अलाउद्दीन अता मलिक़ जुवेनी के हवाले से लिखा कि, उन्होंने महल में प्रवेश किया. जहां उन्होंने इवान की बेटी के साथ रात गुज़ारी. जो मलिक अल-अशरफ़ की पत्नी थी और इस तरह उन्होंने अपनी पत्नी मलिका के भाग जाने पर अपने गुस्से की प्यास बुझाई.इस्टमंड लिखते हैं कि उस समय के इतिहासकारों के लेखों से पता चलता है कि किसी शहर की हार के बाद रेप सामान्य बात थी. लेकिन अभिजात्य वर्ग की महिलाएं इससे बच जाती थीं. इस बारे में वैश्विक स्तर पर शासकों में एक समझौता था.
लेकिन टेम्टा की पहली शादी का क्या हुआ? इस्टमंड लिखते हैं कि, "इस शादी की क़ानूनी हैसियत इसमें ज़बरदस्ती करने का पहलू, ये इस वजह से शक के दायरे में थी कि, अल अशरफ अभी जीवित थे और उन्होंने टेम्टा को तलाक़ भी नहीं दिया था." अधिकांश दस्तावेज़ों में उनका उल्लेख करते हुए उनके सरनेम लिखे गए थे. उदाहरण के तौर पर, इस्टमंड बताते हैं कि, इखलात के शासक अल-अशरफ़ की बहन, जो अय्यूबी साम्राज्य के सुलतान अल आदिल की बेटी थीं. उनकी शादी एक सल्जूक़ सुल्तान से हुई. इन्हें केवल 'मलिका आदिल्या' लिखा गया. इसी तरह दूसरी महिलाओं के लिए अस्मत-अल-दुनिया-व-अल-दीन और सफ़वत-अल-दुनिया-व-अल-दीन जैसे शब्द लिखे मिलते हैं.
टेम्टा को भी बातो के सामने लाया गया लेकिन वहां से उन्हें वापस भेजने के बजाये क़रा कोरम में ओगदाई ख़ान के पास भेज दिया गया. आर्मेनिया में अवाग की अहमियत को देखते हुए, इस्टमंड लिखते हैं, उनकी बहन टेम्टा को क़ैदी बनाने की वजह समझ में आती है. टेम्टा मंगोल कैंप से नौ साल बाद वापस आईं. मंगोलिया जाने के बाद टेम्टा एक बार फिर इतिहास के पन्नों से गायब हो जाती हैं.
ओर तुम चाटने चले गए उसके
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आपके लेख से स्पष्ट है ईसाइयत का इतिहास नारी शशक्तिकरण विरोधी ही रहा है भले अब ईसाई पंथ ने महिलाओं की स्वतंत्रता और उनके शशक्तिकरण पर अपना दृष्टिकोण बदला है परंतु इस्लाम ने तो अब भी महिलाओं को रूढ़िवाद की बेड़ियों में जकड़े रखा है बुर्का,ट्रिपल तलाक़,हलाला इसके उदाहरण है।
Gilas aadha pani se bhra hai, ya khhali jaisa hum bolte hai vese hum hai .
अभी वक्त नही आया सत्य के कि अर्मेनियाई लोगों के लिए भी विचारता साथ रहता हमारा मानवता और धर्म सत्य के कई इतिहास हैं! armenia 🇮🇳
माननीय प्रधानमंत्री श्री narendramodi जी 22 नवंबर 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सोनभद्र व मिर्जापुर में ग्रामीण पेयजल सप्लाई परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे
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