संपादकीयः पाक को सबक जनसत्ता August 24, 2019 3:15 AM पाकिस्तान दुनिया में आतंकवाद की फैक्टरी के रूप में कुख्यात है। उसका सबसे बड़ा मददगार और हमदर्द अमेरिका तक कह चुका है कि वह धरती पर आतंकवाद फैलाने वाला सबसे बड़ा देश है। लेकिन फिर भी पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने सबक नहीं लिया। इस बात में अब कोई संदेह नहीं रह गया है कि पाकिस्तान अभी भी आतंकी संगठनों को पाल रहा है और उन्हें भरपूर मदद दे रहा है। आतंक फैलाने वाले देशों पर निगरानी रखने वाली वैश्विक संस्था- फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के एशिया...
आतंकी संगठनों को पनाह देने, उन्हें पालने का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है! चाहे अफगानिस्तान हो या भारत, सब जगह उसने एक तरह से छाया युद्ध चला रखा है। भारत तो तीन दशक से सीमापार आतंकवाद झेल ही रहा है। संसद पर हमला, मुंबई हमला, पठानकोट और उड़ी हमले के तो भारत ने पुख्ता सबूत तक दिए हैं। लेकिन पाकिस्तान ने कभी इन सबूतों को नहीं माना।
हैरानी की बात तो यह है कि इन हमलों की जिम्मेदारी उसके यहां बैठे आतंकी संगठन लेते रहे हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार इससे इनकार करती रही है। एफएटीएफ पिछले डेढ़ साल से पाकिस्तान को चेता रहा है लेकिन उसकी सारी कवायद बेअसर ही साबित हो रही है। इससे एक बात तो साफ है कि पाकिस्तान को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उसे निगरानी सूची में डाला जाता है या काली सूची में। वह आज भी भारत के खिलाफ अभियान जारी रखे हुए है। पुलवामा का हमला तो ताजा मिसाल है। हाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री खुद कह चुके हैं कि पुलवामा...
एफएटीएफ का एशिया प्रशांत समूह आतंकी संगठनों को पैसा उपलब्ध कराने वाले, जनसंहार करने वाले हथियारों की खरीद के लिए होने वाले वित्तीय लेनदेन से रोकने वाली एक क्षेत्रीय संस्था है और इसकी रिपोर्ट के आधार पर ही एफएटीएफ कार्रवाई करती है। यह समूह पाकिस्तान से आइएस, अलकायदा, जमात-उद-दावा, लश्करे तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान से जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए कहता रहा है। लेकिन हकीकत में अब तक ऐसा कुछ भी होता नहीं दिखा है। निगरानी सूची में रहने का पाकिस्तान का इतिहास पुराना...
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