दरअसल, एक नागरिक की याचिका पर अदालत ने यह फैसला दिया है। याचिका में कहा गया था कि किसानों के रास्ते घेर कर धरने पर बैठे होने की वजह से लोगों को आने-जाने में असुविधा होती है।
कई बार कई घंटे जाम में फंसे रहना पड़ता है। यह याचिका विशेष रूप से गाजीपुर सीमा पर बैठे किसानों के संदर्भ में थी। मगर ऐसी शिकायतें सिंघू और टिकरी आदि सीमाओं के आसपास रहने वाले लोग भी दर्ज कराते रहे हैं। पिछले दिनों सिंघू सीमा से लगी औद्योगिक इकाइयों की याचिका पर भी अदालत ने यही कहा था कि अगर आंदोलन की वजह से लोगों के रोजगार और कारोबार पर असर पड़ रहा है, तो रास्ते खाली कराने का उपाय किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय का ताजा आदेश आने के बाद खबर आई कि गाजीपुर सीमा पर किसानों ने जगह खाली करनी शुरू कर...
अदालत ने किसान संगठनों को अपना पक्ष रखने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। किसान शुरू से कहते आए हैं कि उन्होंने सड़क नहीं घेरी है। पुलिस ने सड़कों पर अवरोधक खड़े कर लोगों के आने-जाने में असुविधा पैदा की है। सर्वोच्च न्यायालय ने ठीक ऐसा ही आदेश नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में धरने पर बैठी महिलाओं के संबंध में भी दिया था। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने धरने के खिलाफ सख्ती बरती थी।
हालांकि तब भी स्थिति यही थी कि पुलिस ने सड़कों पर अवरोधक खड़े करके लोगों को लंबा रास्ता तय करके आने-जाने पर मजबूर कर दिया था। मगर किसान संगठन भी अपने पक्ष पर अड़े हैं। एक बार तो संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने यहां तक कहा था कि अगर अदालत आदेश तो वे सड़कें खाली करा सकते हैं। किसान तो सीमाओं पर बैठना ही नहीं चाहते थे, वे दिल्ली के रामलीला मैदान में धरना देना चाहते थे, मगर पुलिस ने उन्हें दिल्ली में घुसने की इजाजत नहीं दी। फिर वे सीमाओं पर ही बैठ गए। बातचीत का सिलसिला लंबा खिंचता गया और...
छिपी बात नहीं है कि धरने पर बैठे किसानों को परेशान करने की नीयत से पुलिस और प्रशासन ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। उनकी बिजली-पानी की सुविधा छीन ली। फिर सड़कों के किनारे गहरे गड्ढे खोद दिए। पक्की दीवारें खड़ी करके उन्हें अलग-थलग करने का प्रयास किया गया। गाजीपुर सीमा पर तो पुलिस ने कंटीले तार की बाड़ खींच दी, सड़कों पर बड़ी-बड़ी कीलें गाड़ दी। उसकी इन हरकतों की खबरें विस्तार से छपती रहीं। अदालत की जानकारी में भी ये सब बातें होंगी। इसलिए जब किसान उसके समक्ष अपना पक्ष रखेंगे तो हो सकता है, फैसले का रुख कुछ...
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