उधर उच्च न्यायालय की देखरेख में आगे बढ़ रही रोशनी एक्ट घोटाले की जांच भी इनकी चिंता बढ़ा रही है। इन बदली हुई परिस्थितियों में लंबे समय तक जम्मू-कश्मीर पर राज करने वाले इन दोनों ‘राजनीतिक राजघरानों’ को अपने अप्रासंगिक होने का डर सता रहा है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या की समाप्ति के लिए पाकिस्तान से बातचीत का सुझाव और सिफारिश उसी निराशा और बौखलाहट का परिणाम है। यह मशविरा उनके द्वारा एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश है। एक तरफ ये आतंकी हिंसा के शिकार जम्मू-कश्मीर की जनता के लिए चिंतित दिखकर...
में हम कश्मीरी नेताओं और उनके नेक इरादों और देश-प्रेम से परिचित हो चुके हैं। इन नेताओं की विश्वसनीयता और बयान संदिग्ध हैं। इन नेताओं को यह जानने और मानने की जरूरत है कि विश्वसनीयता का संकट किसी भी संबंध और संवाद को पलीता लगा देता है। नीयत का दोष नीति की नियति निर्धारित कर देता है। यही गुपकार गठजोड़ के मामले में भी हुआ है।इन नेताओं को जम्मू-कश्मीर में पूर्वस्थिति कायम करने की मुहिम चलाने के बजाय अपनी लगातार क्षीण होती विश्वसनीयता बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अपनी विश्वसनीयता बहाली की...
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