असल में, देश में सबसे पहले सीएए का विरोध असम से शुरू हुआ था. और इसका प्रमुख चेहरा अखिल गोगोई ही थे. सीएए का विरोध कर रहे अखिल को पुलिस ने 12 दिसंबर, 2019 को जोरहाट से गिरफ़्तार कर लिया था. उन पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं और ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियां क़ानून की धारा के तहत मामले दर्ज किए गए. इसके अलावा, राज्य के अलग-अलग शहरों में भी कई मामले दर्ज किए गए. अखिल के ख़िलाफ़ दो मामले एनआईए ने भी दर्ज किए और इस चलते ही उन्हें अब तक ज़मानत नहीं मिल सकी है.
अखिल ख़ुद जेल में थे और बाक़ी दल ज़ोरशोर से चुनावी प्रचार कर रहे थे, तो अखिल का चुनाव प्रचार कितना अलग था? इस सवाल के जवाब में प्रियदा गोगोई कहती हैं, ''कौन नेता यहां क्या कह रहा था, इस बारे में सोचने का मुझे वक़्त ही नहीं था. मैं क़रीब दो महीने से घर-घर जाकर लोगों से मिल रही थी. सुबह सात बजे घर से निकलती थी. खाना भी अपने साथ लेकर चलती थी. कई बार देर रात घर लौट पाती थी. दरअसल मेरे लिए यह एक अभियान जैसा था. क्योंकि सवाल मेरे बेटे का था.''
वे कहते हैं, ''शिवसागर काफ़ी पहले से वामपंथी विचारधारा का गढ़ रहा है. यहां का युवा मतदाता इससे काफ़ी प्रभावित रहा है. इस सबका फ़ायदा अखिल गोगोई को मिला. इसके अलावा उनकी मां के चुनाव प्रचार ने काफ़ी लोगों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि एक मज़बूत लोकतंत्र में हम किसी एक पार्टी या व्यक्ति को सारी ताक़त नहीं दे सकते. हालांकि सीएए विरोध से जन्मी असम जातीय परिषद और अखिल गोगोई की पार्टी राइजोर दल का ख़राब प्रदर्शन बताता है कि उन्हें बाक़ी की सीटों पर सीएए विरोधी ज़्यादा वोट नहीं मिले.
वहीं अखिल ने किसानों के अधिकार की लड़ाई के लिए 2005 में कृषक मुक्ति संग्राम समिति नाम से एक संगठन बनाया. और तब से विभिन्न मुद्दों पर आंदोलन कर वे सरकार की नींद उड़ाते रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह अखिल गोगोई भी कभी सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे की टीम के प्रमुख सदस्य हुआ करते थे. और अब अखिल भी अरविंद केजरीवाल की तरह राजनीति में उतर आए हैं.
करोना से लोग मर हैं ये एक बीमारी है लेकिन ट्रक डाईवर मर रहे है सरकार कि बनाए रुल से लगभग हर राज्य मे लोकडाउन है लेकिन कोई ढिल नहीं सरकारी नियम मैं RajatSharmaLive SushantBSinha SudarshanNewsTV TRANSPORTTV1 narendramodi nsitharaman nitin_gadkari AmitShah
आपको दिल से सैल्यूट
Nice 👍👍 but how
Kuchh nahi ho sakta he is desh ka
यही लोकतंत्र की खूबसूरती है जिसपे भारत की बुनियादी नीव टिकी हुई है ।
How?
भारतीय सुप्रीम कोर्ट हिन्दुओं के कत्लेआम पर चुप क्यों रहती है ? न्याय में भी भेदभाव आज संविधान संशोधन की आवश्यकता है
And they talk about Criminals in Politics.
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