असम जाकर अमित शाह ने सीएए-एनआरसी का ज़िक्र क्यों नहीं किया? - BBC News हिंदी

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असम जाकर अमित शाह ने सीएए-एनआरसी का ज़िक्र क्यों नहीं किया?

ये वही अमित शाह हैं, जो पहले ये कहते नहीं थकते थे कि "दुनिया में कोई ऐसा देश नहीं है, जहाँ कोई भी जाकर बस सकता है. देश के नागरिकों का रजिस्टर होना, यह समय की ज़रूरत है. हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र मे देश की जनता को वादा किया है. न केवल असम, बल्कि देश भर के अंदर हम एनआरसी लेकर आएँगे. एनआरसी के अलावा देश में जो भी लोग हैं, उन्हें क़ानूनी प्रक्रिया के तहत बाहर किया जाएगा."असम में एनआरसी प्रक्रियाइसके तहत साल 2019 के अगस्त महीने में असम के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया था.

अमित शाह के भाषण से सीएए-एनआरसी के मुद्दे के ग़ायब होने को वो बीजेपी की रणनीति का हिस्सा बताते हैं. उनके मुताबिक़ दोनों मुद्दों को अलग-अलग देखने की ज़रूरत है. एनआरसी का प्रभाव असम की सभी विधानसभा सीटों पर भले ना पड़े, लेकिन कुछ सीटों पर अवश्य पड़ेगा. बावजूद इसके एनआरसी इस बार के असम चुनाव में बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया है. लेकिन रवि शंकर रवि कहते हैं कि पिछले एक साल से एनआरसी का मुद्दा लगभग राज्य की राजनीति से ग़ायब ही रहा है.एनआरसी के बाद दिसंबर 2019 में संसद में नागरिकता संशोधन क़ानून पास हुआ था.इसके पीछे गृह मंत्री का बयान ही ज़िम्मेदार बताया जाता है. उस बयान में, "आप क्रोनोलॉजी समझ लीजिए. पहले सीएबी आने जा रहा है. सीएबी आने के बाद एनआरसी आएगा और एनआरसी केवल बंगाल के लिए नहीं आएगा. पूरे देश के लिए आएगा. घुसपैठिए पूरे देश की समस्या हैं.

2011 के आँकड़ो के आधार पर बैकुंठ नाथ गोस्वामी कहते हैं, "असम में असमिया भाषा बोलने वाले 48 फ़ीसदी है और बांग्ला भाषा बोलने वाले तकरीबन 28 फ़ीसदी हैं, बोडो बोलने वाले 4.5 फ़ीसदी हैं, हिंदी बोलने वाले तकरीबन 6.7 फ़ीसदी हैं. बाक़ी भाषा बोलने वालों की तादाद इनसे कम है. असम के लोगों को लगता है कि नागरिकता क़ानून आने के बाद असम में बांग्ला बोलने वालों का वर्चस्व बढ़ जाएगा. असम में सीएए के विरोध की बड़ी वजह ये डर है.जाहिर है सीएए का चुनाव में ज़िक्र कर बीजेपी इस डर को और हवा नहीं देना चाहती है.

लेकिन कुछ जानकार इसके पीछे असम में कांग्रेस गठबंधन को भी वजह मान रहे हैं. कहीं ऐसा तो नहीं की बीजेपी असम में कांग्रेस, लेफ्ट और AIDUF गठबंधन से परेशान हो गई है और इसलिए एनआरसी-सीएए जैसे मुद्दे को उठा कर अपना और नुक़सान नहीं करना चाहती?

 

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दलितो के मसीह है ओवैसी साहेब वोट फोर ओवैसी

दलितो के मसीह है ओवैसी साहेब वोट फोर ओवैसी

Iski gnd fat ti haj

....मुस्लिम कट्टरता इस्लामिक आतंकबाद सभी गेर इस्लामी देशो व धर्मो के लिए एक नासूर बंता जा रहा हे ,इस पर सख्ती से नकेल लगाए जाने की जरूरत हे जनहित व गेर इस्लामी धर्मो केलिए .....

क्योंकि लोगों के ज़ख्म ताज़ा हो जायेंगे

Yeh toh ek zumbla hai

हर टकला....चाणक्य नहीं बन सकता !!

Har pradesh ko alag najariae se dekhate hai

pm gujrati hm gujrati adani gujrati ambani gujrati sab milkar desh ko bechne p lage huye hain.

वापस भी आना था 🤣🤣

G***nd fati hogi jikr karne se

Sabko pata hai kyun...

वो गोवा जाके बीफ का विरोध करते हैं कया

Sidha bolo na.... Himmat nhi Hai

कृपया शांतता रखिये, इतिहास पढना शुरू है

Elections ane wala he

iamsatishsah तांडव होना चाहिए बेरोज़गारी के ख़िलाफ़,रेप के ख़िलाफ़,भुखमरी के ख़िलाफ़ लेकिन हो रहा है एक वेब सिरीज़ के ख़िलाफ़ 🤔

BharatiyaC_S Fat gya tha isiliye nahi liya

Fat gyii hogi 😀😀

अभी वोट लेना है इलेक्शन के बाद सोचेंगे कोन से लोग भागे जा रहे हैं

तड़ीपार

14 लाख हिन्दू को फंसा दिया 6 लाख मुस्लिमों के चक्कर में इसे कहते विनाश काले बिपरीत बुद्धि

दलितो के मसीह है ओवैसी साहेब वोट फोर ओवैसी। vote.for.owaisi

क्योंकि 19 लाख वोट का सवाल है

क्योंकी इनके पास रोजगार,शिक्षा,स्वास्थ्य,सुरक्षा,विकास जैसे कोई मुद्दा नहीं है बात करने के लिए। सिर्फ पाकिस्तान, मुसलमान जैसे मुद्दे ही है

फ्लॉप हो चुका है

'आ बैल मुझे मार' से डर लगता है

सौदागर हैं दाम देख कर माल बेच रहे हैं

जय हिन्द😂😂😂जूते खाने के डर से डरपोक पार्टी है भाजपा😂😂😂

💯

सिम्पल

waise jaise up bihar rajasthan gujrat me cow mother hai lekin Goa me only milk aur mutton hai

क्योंकि उससे चुल्लो और चीन के माल पर पलने वाले दल्लोंं की आंड मे कीडा उछल जाता है।

Kyonki abhi election aane me waqt hai..

इसकी तो खुद फटी पड़ी है 😜

Kyunki uski pant gili ho gyi thi 🤣🤣🤣

🤘

कोई नई बात नहीं हैं ऐसा हमेशा करते हैं HM।

( देश बिकने नही दुगा ) जो हालत आज देश की है और जो हालात नज़र आ रहे है नौजवान , सैनिकों , किसानो और कितनों की बलि लेगी ये सरकार वाह रे सत्ता का मोह वाह रे गोदी मीडिया अब तो नक़ाब भी उतर गया आपका अर्नब की चैट से ajitanjum RahulGandhi

अगर चुनाव नहीं होते तो जमीन देने के बजाए NRC लगा के धक्के मर के निकाल दिया गया होता

डर है वोट कटने का

फट के हो जाएगी चौबारा अगर नाम ले लिया इन्होंने caa/nrc का dobara

गंदा है पर धंदा है ये

क्योंकि पहले चुनाव हो जाने दो, फिर CAA NRC आयेगी, पश्चिम बंगाल में भी यही हाल है...

BC ISE BHI DIKAT HE KYA BBC VALO KO AB DAIRECT BHARAT SE NIKALE GE TAB HI BAT KAREGE

बगल के ही राज्य बंगाल में चुनाव है।

Taqat nhi isliye

गला सबका सूखता है

अगर जिक्र करते तो चोर मिडिया वाले अपने बाप के काजल खंगालने लगते इसलिए

TADIPAR😭

जैसे तुम पाकिस्तान की बुराई नहीं करते हो

किसान आंदोलन करेंगे तो डीजल देने पर रोक लग जाएगी, शिक्षक आंदोलन करेंगे तो सैलरी काट ली जाएगी, छात्र आंदोलन करेंगे तो लाठियाँ बरसायी जाएँगी और मीडिया अगर इसपर कुछ लिखना चाहे तो FIR कर दी जाएगी। tractorParade

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