इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या केस में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सोमवार को जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने रिव्यू पिटिशन दाखिल कर दी है. जमीयत-उलेमा-हिंद से जुड़े असद रशीदी की तरफ से 217 पन्नों की याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने माना कि वहां नमाज होती थी फिर भी मुसलमानों को बाहर कर दिया. इसके साथ ही कहा गया है कि 1949 में अवैध तरीके से इमारत में मूर्ति रखी गई. फिर भी रामलला को पूरी जगह दी गई.वहीं अब रिव्यू पिटिशन को लेकर प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं.
इसी तरह बाबरी मस्जिद पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने रिव्यू पिटिशन को गलत ठहराया है. इकबाल अंसारी का कहना है कि हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मान लिया है. हम अपने स्टैंड पर कायम हैं. क्योंकि रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का कोई फायदा नहीं है. अयोध्या विवाद राजनीति से प्रेरित है. इकबाल अंसारी ने कहा कि अब इस मामले को खत्म कर देना चाहिए. लोगों ने खुले दिल से इसे अपना लिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले में रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया गया था.
Ummid hai sahi insaf hoga,sirf ek varg ko khush karna ye insaf nahi hai!
पहले पाकिस्तान पर अब रेपिस्ट पर सर्जिकल स्र्टाइक ,मानसिक विकृतियों वाले को मार गिराओ ,हम भारत की जनता अपने फौज और पुलिस पर र्गव करते है ।अमित भाई गृहमंत्री है ,मोदीजी प्रघानमंत्री तो अपराधियों को जहन्नुम जाना तय है ,हैदराबाद में इन्साफ मिला अब ऊन्नाव की बारी, वक्त ब्रबाद न करे
ये लोग देश का माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। यह ना ही इनके हित में है और ना ही देश हित में ही है।
Ye log bojh hain Hindustan par
सेक्यूलर का मतलब क्या हिंदू विरोधी रहना? राम का राज था तब कोई मुस्लिम नही थे। तब सभी जगह मंदीर ही थे। यह भी सच है मुगलो का आक्रमण हुआ था तब मंदीरो को तोडा गया और मस्जिदे बनाई गयी, धर्मांतर हुए। विडंबना देखिए, वही धर्मांतर हुए लोग अब वही आक्रांता के नाम पे बनाई मस्जिद पे रो रहे है
AIMPLB को आज यानी शौर्य_दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं...
Sab reject hongi yeh AIMPLB_Official ko bhi maloom hai. Its just their delaying tactics and its shameful on their part.
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