आईएसआई में अफ़ग़ान डेस्क के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल महमूद अहमद ग़ाज़ी ने फ़ैज़ाबाद के ओजड़ी शिविर में एक साथी अधिकारी के कार्यालय में प्रवेश किया, तो उन्होंने अपने सहयोगी को चिंताजनक स्थिति में फील्ड फोन पर किसी को फोन मिलाते देखा.
कर्नल महमूद अहमद ग़ाज़ी ने लिखा है, कि "उन्होंने मुझे बताया कि जहां गोला बारूद रखा जाता है, वहां से उन्होंने एक ज़ोरदार धमाके की आवाज़ सुनी है. इसी बीच मेजर बट दौड़ते हुए ऑफिस में दाखिल हुए और कहा कि बारूद के गोदाम में विस्फोट हो गया है. अफ़ग़ान डेस्क के प्रमुख ब्रिगेडियर अफज़ल जंजुआ और कर्नल इमाम समेत कार्यालय के सभी अधिकारी तुरंत गोदाम की तरफ दौड़ पड़े."
उन्होंने लिखा कि "हम सभी को महसूस हो गया था कि बड़ा विस्फोट होने में बस कुछ ही क्षण बाकी हैं जो बस होने वाला है. कर्नल इमाम ने तत्काल ख़तरे को महसूस किया, मुझे उनके शब्द याद हैं कि "बहुत देर हो गई, अब कुछ नहीं हो सकता."वीडियो कैप्शन,ये भयानक विस्फोट जिस समय हुआ, वहां मौजूद किसी आईएसआई अधिकारी की तरफ से ऐसी सूचनाओं का सामने आना दुर्लभ ही होता है.
कर्नल ग़ाज़ी के अनुसार, जनरल रहमान ने आईएसआई के भीतर यह धारणा बनाने की कोशिश की, कि ओजड़ी कैंप में धमाका नुक़सान पहुंचाने का ऑपरेशन था. ताकि वो खुद पर होने वाली इस आलोचना का रुख मोड़ सकें कि आखिर शहर के बीचों-बीच इतनी बड़ी मात्रा में गोला बारूद क्यों जमा किया गया था.सेवानिवृत्त कर्नल ग़ाज़ी लिखते हैं कि "हर तरह के हथियार को मिला कर कुल दस हज़ार टन का भंडार था जो हवा में उड़ रहा था, स्टिंगर हवा में उड़ रही थीं.
कर्नल ग़ाज़ी के अनुसार, उन्होंने परिसर में मौजूद आईएसआई अधिकारियों से बात की. "जनरल रहमान ने अधिकारियों से कहा कि उन्हें लगता है कि यह कार्रवाई जान-बूझकर की गई है. क्योंकि सभी गोला-बारूद जो हमारे पास था वो बहुत कारगर साबित हुआ था और पिछले छह से सात वर्षों में कभी भी ऐसी रिपोर्ट नहीं हुई. यह जनरल अख्तर का विचार था कि शहर के अंदर इतने बड़े पैमाने पर गोला-बारूद के गोदाम का निर्माण किया जाये.
सबसे पहले, सेवानिवृत्त कर्नल ग़ाज़ी आईएसआई की अफ़ग़ान डेस्क में स्टिंगर मिसाइलों की संख्या का विवरण देते हैं: "पाकिस्तान को अमेरिका से कुल 487 लांचर और 2288 स्टिंगर मिसाइलें मिली थीं. इनमें से, 10 अप्रैल, 1988 को प्रसिद्ध ओजड़ी शिविर विस्फोट में 122 लॉन्चर और 281 स्टिंगर नष्ट हो गए थे, जिसके बाद हमारे पास केवल 365 लांचर और 2007 मिसाइलें बची थीं. इनमें से, 336 लांचर और 1969 मिसाइलों का इस्तेमाल मुजाहिदीन ने किया था और बाकी अमेरिका को वापस कर दिये गये थे.
और आर्थिक तबाही भारत की खुली?
तभी तालिबान वाले अब अब अमेरिका को डंडा किए हुए हैं... ना रुक पा रहे हैं और ना ही अफगानिस्तान छोड़ के जा पा रहे हैं..
ठीक है! 500 भेज दो।। कमीशन कितना परसेंट?
Ab mughe lena hi parega😊😊😊
और अफगानिस्तान को भी अमेरिका और रूसी सेना ने ही बर्बाद किया है दुनिया पर जुल्म करने वाले अंग्रेज़ हमें मानवाधिकार की परिभाषा सिखाते है और भारतीय भी सिखते है बडे प्यार से कितना मस्त संबंन्ध है ना रायता फैलाकर उसको साफ करना सीखा रहे है😂😂🤣
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