अमेरिका की मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची: भारत का नहीं, घाटा अमेरिका का ही

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अमेरिका ने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत को तगड़ा झटका दिया है। उसने भारत को ‘करंसी मैनिपुलेटर्स’ (मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाले देश) की निगरानी सूची या ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ में डाल दिया है।

हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब अमेरिका ने भारत को लेकर ये कदम उठाया है। इससे पहले 2018 में भी भारत को सूची में डाला गया था, लेकिन फिर 2019 में हटा दिया था। इस बार अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने भारत सहित कुल 11 देशों को ताजा सूची में शामिल किया है। इनमें सिंगापुर, चीन, थाईलैंड, मैक्सिको, जापान, कोरिया, जर्मनी, इटली और मलेशिया तक शामिल हैं। मंत्रालय ने कहा है कि इन देशों में मुद्रा संग्रहण और इससे जुड़े अन्य तरीकों पर करीबी नजर रखी जाएगी। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, भारत का अमेरिका के...

किसी देश के द्वारा एक साल के भीतर विदेशी मुद्रा की खरीद उसके जीडीपी का कम से कम दो फीसद हो जाए। हाल ही में खबर आई थी कि भारत का अमेरिका संग व्यापार अधिशेष 20 अरब डॉलर से अधिक हो गया है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक के आंकड़ों में भी कहा गया था कि भारत ने 2019 के अंत तक विदेशी मुद्रा खरीदने के मामले में तेजी दिखाई थी। आंकड़ों के अनुसार साल 2020 के जून महीने तक भारत ने 64 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा की खरीद की थी। यह संख्या जीडीपी का 2.

 

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