अब्दुल सईद कहते हैं, "अंदरूनी तौर पर तो तालिबान समर्थक और सदस्य इस समारोह के आयोजन के लिए, सिराजुद्दीन हक़्क़ानी की काफ़ी सराहना कर रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ़ बाहरी दुनिया में इससे तालिबान की बहुत आलोचना हुई है, जिससे उनकी राजनीतिक परेशानी बढ़ने की आशंका है."
तालिबान की इस हरकत से पश्चिमी मीडिया में ये सवाल उठना शुरू हो गए हैं कि क्या तालिबान को अपने इस हिंसक अतीत पर गर्व करते हुए एक ज़िम्मेदार राज्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है?तालिबान ने 2011 में काबुल के जिस पाँच सितारा इंटरकॉन्टिनेंटल होटल में आत्मघाती हमला किया था, नौ साल बाद तालिबान के आत्मघाती हमलावरों के परिवारों को उसी पाँच सितारा इंटरकांटिनेंटल होटल में आमंत्रित किया गयाअफ़ग़ानिस्तान के रहने वाले राजनीतिक विश्लेषक अज़ीज़ अमीन का कहना है कि तालिबान में भी तीन तरह के समूह हैं.
तीसरा समूह वह है, जो बहुत ही ध्यान से इन दोनों की ताक़त की समीक्षा कर रहा है ताकि सही समय आने पर फ़ैसला करे कि उन्हें किसका साथ देना है.अज़ीज़ अमीन के अनुसार, "जहां एक समूह कूटनीति के ज़रिए अफ़ग़ान तालिबान को दुनिया के सामने एक उदार और शांतिप्रिय समूह के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरा समूह अपनी विचारधारा के अनुरूप सख़्त क़दम उठा रहा है. जिससे यह संकेत मिलता है कि तालिबान में एक समान नीति पर सहमति नहीं है.
अमीन कहते हैं, "तालिबान का रवैया शासकों जैसा नहीं है, बल्कि चरमपंथियों जैसा है, इसलिए उन्हें इस बात से फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि आम जनता को इससे कितना दुःख पहुँचता है, क्योंकि इन हमलों में मारे गए लोगों में ज़्यादातर अफ़ग़ान नागरिक थे."तालिबान का एक समूह उदारवादी है जो दोहा में राजनीतिक परामर्श और कूटनीति में लगा हुआ है.इस समारोह की मेज़बानी हक़्क़ानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक़्क़ानी ने की.
त्रिपुरा में मस्जिदों पर हमले हो रहें हैं मुसलमानों के घरों दुकानों को जलाया जा रहा है। देश के अल्पसंख्यक ख़तरे में है लेकिन देश की सरकारें सुकून से सो रही हैं StopAttackingTripuraMuslims
यह दोगले गद्दार है इस्लाम को बदनाम करते हैं
इनके मौजूद रहने से ही इसलाम सुरक्षित है वर्ना काफिर उनको बीबीसी बना देते😜😂😂
तालिबान और भगवे थालिबान में कोई अंतर नही है, हमारे यहाँ भी मुस्लिमो की लिंचिंग करने वाले भाजपा और संघ परिवार के हीरो है, मोदी सरकार के मंत्री jayantsinha लिंचिंग करने वालो को फूल माला पहना कर सत्कार करते है।
संसार के सेक्युलर देश उस शिक्षा को बढावा देने मे क्यों लगे हुए हैं ? जिस शिक्षा से तालिबान पैदा होता हैं यही शिक्षा एक दिन सेक्युलर देशों का पतन कर देगी उस देश के मूल नागरिको का हाल अफगानिस्तान की जनता की तरह होगा।
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