अपरिपक्व सोच: वैश्विक चुनौती बन चुकी है धैर्य और सहिष्णुता के स्तर में गिरावट

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अपरिपक्व सोच: वैश्विक चुनौती बन चुकी है धैर्य और सहिष्णुता के स्तर में गिरावट Urja

घंटी बजाने पर द्वार तुरंत न खुलना, रेस्तरां में अपेक्षित खाद्य सामग्री प्रस्तुत होने में देरी, झट से उत्तर न मिलना, हार्न देने पर वाहन द्वारा मार्ग न छोड़ना जैसी स्थितियों में झुंझलाना या क्रोधित होना अपरिपक्व सोच को दर्शाता है। स्वस्थ वृत्ति का तकाजा है, उन संभावनाओं की अनदेखी न हो, जिनके कारण सामने वाला हमारे अनुकूल आचरण नहीं कर रहा।

नामालूम वह दुविधाग्रस्त या संताप में हो। हम मान लेते हैं कि वह सायास हमारी नहीं सुन रहा। किसी को समझने से पहले उसे समझाने, परखने या उसके बारे में राय बनाने का अर्थ है हमें अपनी सोच दुरुस्त करनी चाहिए। किसी के बाबत आपकी राय अधिक सटीक तब होगी जब सुदीर्घ अवधि तक उसे विभिन्न अवसरों में समझा जाए। धैर्य और सहिष्णुता के स्तर में गिरावट वैश्विक चुनौती बन चुकी है। तनाव, उद्विग्नता और अवसाद जैसी मानसिक व्याधियों में अनवरत बढ़त हो रही है। मानसिक रोगों का इलाज लेने वालों से कहीं अधिक संख्या उन बेचारों की है, जो अपनी मानसिक व्याधि के प्रति अनजान हैं। वैचारिक उन्नति के संदर्भ में अनजान होना उतना जोखिमभरा नहीं, जितना जानने-सीखने की इच्छा न होना।शरीर बहुत कुछ करने में समर्थ है, यह मस्तिष्क को समझाना होता है। स्वस्थ काया के बावजूद इस भ्रम में जीना कि अंग-प्रत्यंग अमुक कार्य नहीं कर सकते, वैचारिक...

 

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CAN YOU CHANGE THE BEHAVIOUR OF THE PATTERN OF THE SOLAR STARS , HAVING DIFFERENT MOTIONS & CHARACTERS UNABLE TO CHANGE YET NEVER TO COLLIDE WITH UNDER THE GRAVITATIONAL FORCE THEY RECEIVE , AND THE DIFFERENT CHARACTERISTICS THEY POSSESS ?

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