तबाह हो गए। इस तबाही को झेलने वालों की चीखें अस्पताल में आने-जाने वाले हर शख्स के कानों में गूंज रही थीं। किसी का बच्चा रो रहा था तो किसी की मां। किसी के बुजुर्ग दादा कंपकंपाते हुए अपने लाडले के जाने का मातम मना रहा थे तो कुछ भ्रष्ट तंत्र को बदुआएं दे रहे थे।
इसी बीच लोकनायक अस्पताल की मोर्चरी के ठीक सामने लाल रंग की जैकेट में गुमसुम एक मासूम बैठा था। ठंड में मासूम को अपने सीने से लगाए एक बुजुर्ग महिला भी थी, जिनकी आंखों से मन की पीड़ा बाहर निकल रही थी। बातचीत में तकरीबन 8 वर्षीय उस बच्चे ने अपना नाम अली अहमद बताया। उसके पिता का नाम था इमरान अहमद। यह परिवार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के गांव कुरी रवाना का है। इस परिवार के दोनों ही कमाऊ बेटे अनाज मंडी हादसे में जान गवां चुके हैं। 35 वर्षीय इमरान और उसका 33 वर्षीय भाई इकराम की दम घुटने से मौत हो गई। इसी गांव के 20 वर्षीय समीर ने भी उसी इमारत में दम तोड़ दिया था।
अपनी नानी के साथ बैठा अली अहमद भले ही मासूम है, लेकिन अपने पिता और चाचा की मौत होने का दर्द वह महसूस कर रहा था। मायूस चेहरे और सूखे होठ उसके गहरे दुख को बयां करने के लिए काफी थे। अली बताता है कि जब घर पर पता चला कि पापा और चाचा की मौत हो गई है तो हर कोई अचंभित था। पूरे गांव में हर कोई स्तब्ध था। ये तीनों युवक बैग बनाने के कारखाने में काम करते थे। इमरान और इकराम के पिता जमील अहमद भी वहां मौजूद थे। इन्हीं की शिनाख्त के बाद सोमवार दोपहर को दोनों भाईयों का पोस्टमार्टम हुआ और शव परिजनों को सौंप दिए। इसके बाद परिजन एंबुलेंस में शव लेकर अपने गांव के लिए रवाना हुए।
ArvindKejriwal AamAadmiParty BJP4India May Almighty God allow soul ( of died person's in anaaj Mandi,Delhi) final rest in peace and strength to their near and Dear to bear such a huge loss suddenly.
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