के लिए सरकार ने अपने वायदों को तोड़ा ही क्यों नहीं हो। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अदालत द्वारा सरकार को ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया जाना चाहिए जो वास्तविकता से परे हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम हाईकोर्ट के निष्कर्ष से कतई सहमत नहीं हैं। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंध के बाद रोजगार खोने वाले सभी कामगारों को रोजगार मुहैया करने का निर्देश देना और इसे संविधान के अनुच्छेद-21 के साथ जोड़ने से वह कतई सहमत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, 'हाईकोर्ट द्वारा सरकार को आजीविका खो चुके मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने का निर्देश देना वास्तविकता से परे है। नौकरी की कमी को देखते हुए हाईकोर्ट का यह निर्देश का पालन असंभव है।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को इस तरह का निर्देश नहीं देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यापक जनहित का ख्याल रखते हुए सरकार द्वारा नीतियों में बदलाव करने को अतिशय या असंगत नहीं कहा जा...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम हाईकोर्ट के निष्कर्ष से कतई सहमत नहीं हैं। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा प्रतिबंध के बाद रोजगार खोने वाले सभी कामगारों को रोजगार मुहैया करने का निर्देश देना और इसे संविधान के अनुच्छेद-21 के साथ जोड़ने से वह कतई सहमत नहीं है।
PMOIndia rsprasad OfficeOfRSP NITIAayog Yes sir
PMOIndia rsprasad OfficeOfRSP NITIAayog और लगभग 50% निर्देश ऐसे होते हैं कोर्टों के
PMOIndia rsprasad OfficeOfRSP NITIAayog कुछ भी आदेश दे क्या फर्क पड़ता है 'सिर्फ मीडियम और गरीब के लिए होता है
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