MSP से ज्यादा कीमत पर बिकी सोयाबीन और नारियल की फसलनए कृषि कानूनों पर देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों और सरकार के बीच खींचतान चल रही है. इस बीच इंडिया टुडे ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में पाया है कि बाजार के सकारात्मक माहौल में नए कानूनों से किसानों को लाभ हो सकता है.
राम गुर्जर ने कहा,"सभी किसानों ने अच्छी कमाई की है, नए कानूनों से किसानों को ज्यादा आजादी मिली है, दलाल और अढ़तिया के न होने से हमलोग को ज्यादा फायदा मिलेगा. एमपी के देवास में भी किसान खुश और संतुष्ट दिखे. बता दें कि सरकार द्वारा MSP आधारित खरीद सिस्टम का श्रेय ब्रिटिश सरकार को जाता है. ब्रिटिश सरकार ने दूसरे विश्व युद्ध के समय राशनिंग सिस्टम शुरू की थी, तभी से अनाज की सरकारी दर पर खरीद होती है. 1942 में खाद्य विभाग नाम का सरकारी संस्थान वजूद में आया. आजादी के बाद इस संस्थान को खाद्य मंत्रालय में तब्दील कर दिया गया.
MSP भारतीय कृषि व्यवस्था में दशकों से चली आ रही है, लेकिन अबतक इसका किसी कानून में वर्णन देखने को नहीं मिलता है. हालांकि सरकार साल में दो बार MSP की घोषणा करती है, लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत सरकार के लिए ऐसा करना जरूरी हो.
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