भारतीय सेना में सर्विस के दौरान जनरल रावत को मिले कई गैलेंट्री आवार्ड, जाने इनके बारे में
सीडीएस जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के एक अत्यधिक सुशोभित अधिकारी थे। उन्हें 16 दिसंबर 1978 को सेना की 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया था। भारतीय सेना में अपने कार्यकाल के दौरान जनरल रावत को कई तरह से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क: देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की 8 दिसंबर दिन बुधवार को एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। यह हादसा तमिलनाडु के कुन्नूर के पास हुआ, जनरल रावत के साथ उनकी पत्नी समेत 13 लोग इस हादसे में मौत का शिकार हुए हैं। वहीं दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का सेना के एक अस्पताल में इलाज जारी है।
गैलेंट्री आवार्ड सम्मान
सीडीएस जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के एक अत्यधिक सुशोभित अधिकारी थे। उन्हें 16 दिसंबर 1978 को सेना की 11 गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया था। उनके पिता लच्छू सिंह रावत भी सेना की इसी टुकड़ी के अधिकारी थे। भारतीय सेना में अपने कार्यकाल के दौरान जनरल रावत को कई तरह से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जिनमें मुख्य तौर पर उनके गैलेंट्री आवार्ड शामिल हैं। जनरल रावत भारतीय सेना के पीवीएसएम, यूवाईएसए, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम सरीखे गैलेंट्री आवार्ड से सुशोभित थे।
क्या हैं इन गैलेंट्री आवार्ड के मायने:-
परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम)
परम विशिष्ट सेवा मेडल (पीवीएसएम), भारतीय सेना का एक पुरस्कार है। इसकी स्थापना 26 जनवरी 1960 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा की गई थी। सशस्त्र बलों के कर्मियों द्वारा दी गई विशिष्ट सेवाओं को मान्यता देने के लिए की इस पदक की स्थापना की गई थी। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
उत्तम युद्ध सेवा पदक (यूवाईएसएम)
उत्तम युद्ध सेवा पदक, जिसे यू.वाई.एस.एम के नाम से भी जाना जाता है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा 26 जनवरी 1980 को इसे विशिष्ट सेवा पुरस्कारों में से एक के रूप में स्थापित किया गया था। यह पदक युद्ध/मुठभेड़/प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण कोटि के प्रदर्शन को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। उत्तम युद्ध सेवा पदक मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
अति विशिष्ट सेवा मेडल (एवीएसएम)
अति-विशिष्ट सेवा मेडल को मुख्य तौर पर "विशिष्ट सेवा मेडल, वर्ग-2" के रूप में स्थापित किया गया था। इस मेडल को 27 जनवरी, 1967 को यह नाम दिया गया और बैज को पिछले मैडल से बदल दिया गया। 1980 तक यह मैडल उत्तम युद्ध सेवा पदक के तरह गैर-परिचालन सेवाओं के लिए ही दिया जाता था। अति-विशिष्ट सेवा मेडल मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
युद्ध सेवा मेडल (वाईएसएम)
युद्ध सेवा मेडल लड़ाई के दौरान प्रतिष्ठित सेवा के लिए स्थापित सैन्य पुरस्कार है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा 26 जनवरी 1980 को इस सम्मान की स्थापना की गई थी। यह सम्मान युद्ध के दौरान दिए जाने वाले विशिष्ट सेवा पदक के समानांतर है, यह पदक शांतिकाल का प्रतिष्ठित सेवा सम्मान है। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
सेना मेडल (एसएम)
सेना मेडल पुरस्कार की स्थापना 17 जून 1960 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा की गई थी। कर्तव्य और साहस के प्रति असाधारण समर्पण का प्रदर्शन करने वाले लोगों का सेना में खास स्थान है। ऐसे लोगों का सम्मान करने के लिए सेना मेडल की स्थापना की गई। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।"
विशिष्ट सेवा मेडल (वीएसएम)
विशिष्ट सेवा मेडल भारत सरकार द्वारा सशस्त्र बलों के सभी रैंकों के सैनिकों के लिए, सर्विस के दौरान किए गए असाधारण कार्यों के सम्मान में दिया जाता है। विशिष्ट सेवा मेडल की स्थापना 26 जनवरी 1960 को की गई थी। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।