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लेफ्टि. जनरल एसए हसनैन का कॉलम:थियेटर कमांड उनका सबसे बड़ा सपना था, इसके लिए वे जल्द कई बड़े सुधार लाने वाले थे

2 वर्ष पहले
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लेफ्टि. जनरल एसए हसनैन, कश्मीर में 15वीं कोर के पूर्व कमांडर - Dainik Bhaskar
लेफ्टि. जनरल एसए हसनैन, कश्मीर में 15वीं कोर के पूर्व कमांडर

सैन्य परिवार में जन्म लेने वाले जनरल बिपिन रावत और मुझमें कई समानताएं रहीं, जिसके चलते हम एक-दूसरे से काफी जुड़ाव महसूस करते थे। उन्होंने मिलिट्री सेक्रेटरी (एमएस) की शाखा में बतौर कर्नल मेरी जगह ली थी। मेरी अनुशंसा थी कि उन्हें ही यह पद दिया जाए। इसके बाद जनरल बिपिन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ साल बाद जब मैं डैगर डिविजन की कमान संभालने के लिए बारामुला पहुंचा तो पाया कि मेरे पास ही मेरे दोस्त बिपिन हैं, जो तब सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर के कमांडर थे। सोपोर आरआर सेक्टर को हमेशा ही मुश्किल कमांड माना जाता था। उन दिनों सभी जगह आतंकियों की मौजूदगी थी।

बाद में उन्हें मेजर जनरल बनाया गया। मुझे यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि 15 कॉर्प्स (कश्मीर) के जीओसी रहते हुए मैंने सेना प्रमुख से निवेदन किया कि जनरल बिपिन रावत को बारामुला की उस डिविजन की कमान दी जाए, जिसे मैं संभालता था। डैगर डिविजन के जीओसी रहते हुए उनका कार्यकाल यादगार रहा, उन्होंने स्थानीय आबादी को बहुत अच्छे से संभाला। प्रतिष्ठित 3 कोर की कमान संभालने के दौरान वे दीमापुर में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बाल-बाल बचे।

उन्होंने मणिपुर में हमारे जवानों को शहीद करने वाले एनएससीएन (के) के खिलाफ योजना बनाई और समन्वय किया। उप-प्रमुख बनने से पहले उन्होंने सदर्न कमांड को भी संभाला। जनरल दलबीर सुहाग के बाद उन्हें सेना प्रमुख बनाया गया। बतौर प्रमुख बिपिन ने कार्यकाल के दौरान कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित अशांति पर प्रतिक्रिया देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डोकलाम में 72 दिनों तक चीन के खिलाफ डटे रहने के बाद उन्होंने सुनिश्चित किया कि 2019 में अनुच्छेद 370 के संशोधन से जुड़े जोखिम भरे समय में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा बनी रहे।

जब सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति शुरू करने का फैसला किया, तब जनरल बिपिन स्वाभाविक पसंद थे। सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) और सशस्त्र बलों के थियेटर कमांड की स्थापना का कार्य मिलने के बाद, जनरल रावत ने तीनों सर्विसों का सम्मान जीतते हुए सही मायने में संयुक्त कमांडर की भूमिका निभाई। उनकी इच्छा, थियेटर कमांड की स्थापना का काम पूरा करना था। यह उनकी असीम बुद्धिमत्ता थी, उन्होंने इस अनूठी चुनौती को अपनाया, जिसका सामना आजतक किसी भी सैन्य अधिकारी ने नहीं किया था। इसके लिए वे जल्द कई बड़े सुधार लाने वाले थे।

खुलकर कहते थे
नेतृत्व के दृष्टिकोण से जनरल बिपिन रावत काम से काम रखने वाले व्यक्ति थे। वे बिना डरे खुलकर अपनी बात कहते थे। वे अब तक सबसे ज्यादा उम्र तक (64 वर्ष की आयु तक) सेवा देने वाले अधिकारी थे। काश जनरल बिपिन अपना कार्यकाल पूरा कर पाते और जनरल (4 स्टार) के पद पर 6 वर्ष रह पाते।

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