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कोसी और सीमांचल में भात हुआ दुश्वार, चोखा-रोटी के लिए रार... जानिए सुपौल के किसानों का दर्द

कोसी और सीमांचल में इस बार धान का उत्‍पादन काफी कम हुआ है। करीब 22 हजार हेक्‍टेयर में लगी धान की फसल बाढ़ के कारण तबाह हो गई। इसका असर अब रबी फसल की बुआई पर भी दिख रही है।

By Abhishek KumarEdited By: Published: Thu, 09 Dec 2021 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 09 Dec 2021 08:55 AM (IST)
कोसी और सीमांचल में भात हुआ दुश्वार, चोखा-रोटी के लिए रार... जानिए सुपौल के किसानों का दर्द
कोसी और सीमांचल में इस बार धान का उत्‍पादन काफी कम हुआ है।

सुपौल [राजेश कुमार]। जिले में अक्टूबर में जब धान की फसल तैयार होने पर थी तो अतिवृष्टि ने इसे बर्बाद कर दिया था। यहां 85 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गई थी। सरकारी सर्वेक्षण के अनुसार जिले में 22 हजार हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गई। अब जब किसान रबी फसल की बोआई करते तो डीएपी मिलना मुश्किल हो गया है। किसान गेहूं और आलू की खेती में इस खाद का प्रयोग करते हैं। 90 हजार हेक्टेयर में रबी फसल लगाने का लक्ष्य है।

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इसके लिए लगभग 16 हजार एमटी खाद की आवश्यकता है लेकिन अबतक तीन हजार एमटी की ही आपूर्ति हो पाई है। गेहूं की अगात बोआई के लिए 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक का समय उपयुक्त माना गया है। अगात आलू की रोपाई अबतक हो जानी चाहिए थी अन्यथा ठंड बढऩे पर पाला का खतरा रहेगा। ऐसे में किसानों का कहना है कि भात पर पहले ही शामत आ चुकी है। अब चोखा-रोटी पर आफत से इंकार नहीं किया जा सकता है। भात जब दुश्वार हुआ तो चोखा-रोटी के लिए किसान रार ठाने हुए हैं। किसान खाद के लिए मारामारी करने पर उतारू हैं। जगह-जगह सड़क जाम किया जा रहा है।

कोसी के इस पिछड़े इलाके में लोगों के चूल्हे किसानी के बूते ही जलते हैं। लगभग 80 फीसद से अधिक लोगों की आजीविका का साधन कृषि या इससे जुड़े अन्य कार्य हैं। धान की खेती किसानों के लिए सबसे सस्ती और अधिक आमदनी वाली होती है। इसमें किसानों को ङ्क्षसचाई नहीं के बराबर करनी पड़ती है। बारिश से ङ्क्षसचाई हो जाती है। इस साल बारिश भी अच्छी हुई। किसान फसल देख मूंछों पर ताव दे रहे थे लेकिन प्रकृति पर किसी का जोर नहीं चलता।

यास तूफान के प्रभाव से इधर भी लगभग पांच दिनों तक बारिश होती रही जिससे धान की फसल बर्बाद हो गई। मुंह के बल गिरे किसानों के समक्ष अब रबी फसल का ही सहारा है। यह खेती महंगी होती है। इसमें रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है। इधर के किसान डीएपी और पोटाश का अधिक व्यवहार करते हैं। रबी फसल में किसान मुख्य रूप से गेहूं बोते हैं। इसके अलावा सरसों और आलू की खेती भी की जाती है। इस खेती में भी उक्त खाद की आवश्यकता रहती है लेकिन मौके पर खाद की किल्लत हो गई। हालांकि मंगलवार को नौ हजार एमटी खाद जिले को मिलने के बाद किसानों ने राहत की सांस ली है। 


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