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कभी कांग्रेस की धुर विरोधी थी शिवसेना, आज टीएमसी की आंधी से बचाने के लिए बनी ढाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों विपक्षी दलों के नेताओं के संग मेल-मिलाप करने के साथ-साथ कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए के अस्तित्व और राहुल गांधी की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रही हैं. टीएमसी के इस मुहिम के बीच कांग्रेस के लिए शिवसेना अब ढाल बनकर सामने खड़ी हो गई है. साथ ही राहुल गांधी से विपक्ष को लीड करने की बात कह कर ममता को तगड़ा झटका दिया है.

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संजय राउत और राहुल गांधी
संजय राउत और राहुल गांधी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिवसेना नेता संजय राउत राहुल गांधी से मिले
  • कांग्रेस के लिए शिवसेना ढाल बनकर खड़ी हुई
  • ममता बनर्जी की मुहिम को शिवसेना का झटका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अभी से विपक्ष का चेहरा बनने के लिए कांग्रेस और टीएमसी में शह-मात का खेल शुरू हो गया है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इन दिनों विपक्षी दलों के नेताओं के संग मेल-मिलाप करने के साथ-साथ कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए के अस्तित्व और राहुल गांधी की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रही हैं. टीएमसी के इस मुहिम के बीच कांग्रेस के लिए शिवसेना अब ढाल बनकर सामने खड़ी हो गई है. साथ ही राहुल गांधी से विपक्ष को लीड करने की बात कह कर ममता को तगड़ा झटका दिया है.  

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने मंगलवार शाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात के बाद साफ कर दिया है कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता नहीं हो सकती है. राउत ने कहा कि राहुल गांधी के साथ विपक्ष की एकजुटता पर राजनीतिक चर्चा हुई है. हम पहले ही कह चुके हैं अगर कोई एक विपक्षी मोर्चा बनता है तो कांग्रेस के बिना कतई संभव नहीं है. 

'विपक्ष को लीड करें राहुल गांधी'
संजय राउत ने कहा, 'मैंने राहुल गांधी से कहा है आपको विपक्षी एकता लीड करने के लिए आगे आना चाहिए और आपको इस बारे में खुलकर काम करना चाहिए. कांग्रेस के साथ आज भी बहुत सारे राजनीतिक दल हैं तो अलग-अलग फ्रंट बनाने की जरूरत है. विपक्ष का एक ही फ्रंट होना चाहिए. शिवसेना ने यह बात कह कर विपक्ष के चेहरे बनने की कवायद में जुटी ममता बनर्जी के अरमानों को तगड़ा झटका दिया है. संजय राउत पहले यह भी कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में चल रहा तीन दलों का गठबंधन भी मिनी यूपीए की तरह है. 

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संजय राउत की राहुल गांधी से हुई मुलाकात को शिवसेना भले ही रूटीन बता रही हो, लेकिन ममता बनर्जी के महाराष्ट्र दौरे पर शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे से साथ मुलाकात का डैमेज कन्ट्रोल है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो ममता के मुंबई दौरे से यूपीए को लेकर पैदा हुई गलतफहमी को दूर करने के लिए शिवसेना का एक प्रयास है. संजय राउत ने बिना कांग्रेस के विपक्षी एकता संभव नहीं कह कर यह बड़ा सियासी संदेश दिया है. 

ममता को शिवसेना का झटका

बता दें कि म एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे की मुलाकात बाद ममता बनर्जी ने यूपीए के अस्तित्व और राहुल गांधी को लेकर सवाल खड़े किए थे. कांग्रेस के तमाम नेता पार्टी छोड़कर टीएमसी का दामन थाम रहे थे.साथ ही तमाम क्षेत्रीय पार्टियां भी इन दिनों कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन से किनारा करती दिख रही है तो ममता  विपक्षी एकजुटता की मुहिम में जुटी हैं.

यूपीए पर सवाल खड़े कर ममता बनर्जी यह संदेश देना चाहती थी कि कांग्रेस अब विपक्ष को लीड करने की ताकत नहीं रखती है और बंगाल में बीजेपी के विजय रथ को रोककर उन्होंने यह साबित किया है कि मोदी के खिलाफ वो विपक्षी की सबसे बड़ी चेहरा हैं, जो 2024 के चुनाव में पीएम मोदी को कड़ी चुनौती दे सकती हैं. 

ममता की सक्रियता के बीच विपक्षी दलों में शिवसेना पहली पार्टी है, जो कांग्रेस के साथ खुलकर सिर्फ खड़ी ही नहीं हुई बल्कि यह भी संदेश दे दिया है कि कांग्रेस के बिना कोई भी फ्रंट मंजूर नहीं है. साथ ही राहुल गांधी से विपक्षी एकता को लीड करने की बात कह कर टीएमसी की मुहिम पर ब्रेक लगाने की एक तरह से कोशिश की है. कांग्रेस के लिए शिवसेना एक तरह से ढाल बनकर सामने आई है. 

 

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