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म्यांमार नरसंहार: रोहिंग्याओं ने फेसबुक पर किया मुकदमा, मुआवजे मे 11 लाख करोड़ रुपये की मांग

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, न्यूयॉर्क Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Tue, 07 Dec 2021 09:39 AM IST
सार

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया है कि फेसबुक दक्षिण एशिया के एक छोटे से देश के बाजार में बेहतर तरीके से पकड़ बनाने के लिए जानबूझकर रोहिंग्याओं की जान का सौदा करने के लिए तैयार था। 

Rohingya Groups sue Facebook for 150 Billion Dollars over Myanmar Genocide and Hate Speech content news and updates
रोहिंग्या - फोटो : File Photo
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विस्तार
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फेसबुक के लिए मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। रोहिंग्याओं के संगठनों ने अमेरिका और ब्रिटेन में कंपनी पर कुछ केस डाले हैं। इसमें फेसबुक को म्यांमार में रोहिंग्याओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार बताया गया है। आरोप में कहा गया है कि फेसबुक की लापरवाही की वजह से ही रोहिंग्याओं का नरसंहार मुमकिन हुआ, क्योंकि सोशल मीडिया नेटवर्क की एल्गोरिदम ने घटनाओं के दौरान नफरती भाषणों (हेट स्पीच) को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। 


बताया गया है कि फेसबुक पर दोनों देशों में 150 अरब डॉलर यानी करीब 11 लाख 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के मुआवजे की मांग के साथ केस दर्ज किए गए हैं। अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया गया है कि फेसबुक दक्षिण एशिया के एक छोटे से देश के बाजार में बेहतर तरीके से पकड़ बनाने के लिए जानबूझकर रोहिंग्याओं की जान का सौदा करने के लिए तैयार था। 


शिकायत में आगे कहा गया- "आखिर में म्यांमार में फेसबुक के पास हासिल करने के लिए काफी कम था, लेकिन रोहिंग्याओं पर इसके नतीजे इससे भयानक नहीं हो सकते थे। इसके बावजूद फेसबुक ने जरूरी साधन होने के बावजूद गलत बयानी रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि पहले के ढर्रे पर ही आगे बढ़ता रहा।"
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ब्रिटेन में वकीलों की तरफ से फेसबुक को जो चिट्ठी भेजी गई है, उसमें साफ कहा गया है कि उनके मुवक्किल (रोहिंग्या) और उनके (रोहिंग्याओं के) परिवारों को म्यांमार के नागरिक कट्टरपंथी और सत्तापक्ष के अभियान की वजह से गंभीर हिंसा, हत्या और मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ा है।
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शिकायत में आगे कहा गया है कि यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जो कि म्यांमार में 2011 में लॉन्च हुआ और बाद में देशव्यापी बन गया, इसने रोहिंग्याओं के खिलाफ चलाए गए अभियान में एक तरह की मदद की। ब्रिटेन के वकील जल्द ही इस मामले में हाईकोर्ट में केस दाखिल करने वाले हैं और वे बांग्लादेश के रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे रोहिंग्याओं का पक्ष रखेंगे।
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